Tuesday, April 23, 2024

क्या प्रधानमंत्री मां गंगा का हाल भी देखेंगे?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने को मां गंगा का बेटा कहते हैं। आज गंगा का क्या हाल हो गया है, यह नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) की ताज़ा सुनवाई में सामने आया है। एनजीटी को गंगा नदी का प्रदूषण रोकने के लिए किए गए उपायों पर जो रिपोर्ट उत्तर प्रदेश से मिली है, उसके अनुसार प्रदेश के 22 जिलों में सीवेज ट्रीटमेंट का हाल बहुत बुरा है। बारह जिलों में तो सीवेज सीधे गंगा या उसकी सहायक नदियों में बहाया जा रहा है। वहां सीवेज को साफ करने की कोई सुविधा ही नहीं है। अन्य जिलों में भी स्थिति अच्छी नहीं है। 

जो जिले गंगा को सवाधिक प्रदूषित करने के दोषी हैं, उनमें शामिल वाराणसी (जो प्रधानमंत्री का चुनाव क्षेत्र है), प्रयागराज, फर्रुखाबाद, कानपुर, उन्नाव और मिर्जापुर जिलों में सीवेज ट्रीटमेंट की स्थिति के बारे में ट्रिब्युनल को रिपोर्ट ही नहीं दी गई है।

एनजीटी ने उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तराखण्ड से रिपोर्ट मांगी थी कि गंगा में प्रदूषण कम करने के उपायों का आज क्या हाल है। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ उत्तर प्रदेश द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट पर विचार कर रही थी। इस पीठ में दो अन्य न्यायाधीश और एक विशेषज्ञ शामिल हैं। उन्होंने पाया कि उत्तर प्रदेश से जिन 23 जिलों में सीवेज ट्रीटमेंट के बारे में रिपोर्ट मिली है, उनमें कासगंज जिले को छोड़कर बाकी 22 जिलों में स्थिति बहुत खराब है। 

बागपत, बुलंदशहर, मथुरा, सहारनपुर, ललितपुर, गोण्डा, हमीरपुर, हाथरस, मऊ, अलीगढ़, बरेली, एटा, जालौन, अम्बेडकरनगर, शाहजहांपुर, रायबरेली, प्रतापगढ़, अमेठी, हरदोई, गाजीपुर, कासगंज और अयोध्या की रिपोर्ट सरकार ने दी है। कासगंज को छोड़कर  बाकी जिलों में सीवेज ट्रीटमेण्ट की स्थिति बहुत बुरी है। अधिकांश सीवेज बिना शोधन किए गंगा अथवा उसकी सहायक नदियों में डाला जा रहा है। इस कारण गंगा का पानी नहाने योग्य  नहीं रह गया है। इस पानी में दूसरे प्रदूषक तत्वों के साथ मल भी पाया गया है।

बलिया, ललितपुर, गोण्डा, हमीरपुर, हाथरस, जालौन, अम्बेडकरनगर ,मऊ, शाहजहांपुर, अमेठी, हरदोई, और गाजीपुर में तो सीवेज ट्रीटमेंट की कोई सुविधा ही नहीं है। सारा मैला सीधे नदियों में बहाया जा रहा है। गंगा को सर्वाधिक मैला करने वाले जिलों के बारे में तो सरकार मौन है। 

जब एनजीटी ने 'स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन' से पूछा कि गंगा और सहायक नदियों को प्रदूषित करने वाले जिलों के विरुद्ध क्या कार्रवाई की गई है, तो उत्तर मिला कि आयोग केवल निर्देश जारी करता है। कार्रवाई करने का अधिकार जिला प्रशासन और सरकार को है। 

एनजीटी की पीठ ने सरकार को निर्देश दिया है कि गंगा का प्रदूषण रोकने के लिए अतिशीघ्र कदम उठाएं। जिलाधिकारियों से कहा है कि वे इसके लिए कार्ययोजना बनाएं ताकि प्रदूषण खत्म किया जा सके। यह कार्ययोजना समयबद्ध होनी चाहिए। 

एनजीटी की पीठ ने 'स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन' की कार्यप्रणाली पर गम्भीर असंतोष व्यक्त किया है और उससे रिपोर्ट मांगी है कि किस जिले में कितना सीवेज नदियों में जा रहा है। अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ दिन में वाराणसी से तीसरी बार चुनाव लड़ने के लिए अपना नामांकन भरेंगे। सदा की तरह वे मां गंगा को प्रणाम करेंगे और उसका आशीर्वाद मांगेंगे। क्या मां गंगा के भीषण प्रदूषण की ओर भी उनका ध्यान जाएगा?

-न. जो. 24 अप्रैल, 2024 ( Indian Express में प्रकाशित एक समाचार के आधार पर)



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