अपने मोर्चे पर

Monday, August 04, 2025

साझा विरासत में सेंध लगाने वाले कौन हैं और उनके इरादे क्या हैं?

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1960-70 के दशक में हम लखनऊ के जिस मुहल्ले में रहते थे ,  व हां  मेरे बाबू जी  ‘ पण्डित जी ’  कहलाते थे।  वे  सुबह-शाम पूजा करते ,  चंदन-रोली...
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Saturday, May 31, 2025

'एक बार महिला बनकर देखो, प्रभु!'

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कन्नड़ लेखिका   बानू मुश्ताक   के कहानी संग्रह   Heart Lamp  को बुकर पुरस्कार मिलने पर शुरू में जितनी प्रशंसा हो रही थी , अब   उनकी कहानि...
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Contributors

  • Naveen Joshi
  • ढाईआखर
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