Showing posts with label बेरोजगार भारत. Show all posts
Showing posts with label बेरोजगार भारत. Show all posts

Friday, February 26, 2021

ठगी आज का सबसे बड़ा रोजगार है

शायद ही कोई दिन जाता हो जब नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों को ठगने की खबरें न मिलती हों। रोजाना पढ़ने को मिलता है कि केंद्र सरकार की नौकरी दिलाने के नाम पर किसी युवक से दस लाख रु ठग लिए। किसी युवती को सचिवालय में नौकरी दिलाने का झांसा देकर बारह लाख रु ठग लिए। चार युवकों को रेलवे की नौकरी दिलाने का लालच देकर दस-दस लाख रु ठग लिए। कोई पुलिस सिपाही बनने के लिए तो कोई सीधे दरोगा बनने के लिए आसानी से ठग लिया जाता है।

ठगों के पास तरह-तरह के लुभावने प्रस्ताव होते हैं। कोई अपने को किसी मंत्री का रिश्तेदार बताता है। कोई मुख्य सचिव के हस्ताक्षर से नियुक्ति पत्र दिखाता है। कोई सत्तारूढ़ पार्टी के बड़े नेता से सीधे फोन पर बात करके रुतबा झाड़ता है। कोई स्वयं ही आईएएस अधिकारी बनकर होटल के कमरे में इण्टरव्यू करता है। अभी हाल में ठगों ने चार युवकों को झारखण्ड ले जाकर एक महीने की ट्रेनिंग भी करा दी। नियुक्ति पत्र देकर कोई सचिवालय में तो कोई दूर जिलों में जॉइनिंग के लिए भेज दिया जाता है।

कुछ बातें बहुत साफ उभरती हैं। पहली यह कि बेरोजगारी रेगिस्तान की तरह फैलती जा रही है। हर तरफ बेरोजगारों की भीड़ है और वे एक अदद नौकरी के लिए मारे-मारे घूम रहे हैं। इसलिए वे बहुत आसान शिकार हैं। नौकरी पाने की लालसा इतनी तीव्र है कि पढ़े-लिखे या डिग्री धारी होने के बावजूद वे झांसे में आ जाते हैं। कई बार यह जानकर भी कि ठगे जाने की आशंका बहुत अधिक है, वे नौकरी पाने की क्षीण आशा में भरोसा कर जाते हैं। दूसरी बात यह कि सरकारी नौकरी का बहुत बड़ा आकर्षण है। बेरोजगार व्यक्ति कर्जा लेकर, खेत या गहने बेचकर या किसी भी तरीके से जुगाड़ करके दस-बीस लाख रुपए ठगके हाथ में रख देते हैं क्योंकि सरकारी नौकरी का वादा होता है। रेलवे जैसी केंद्रीय सरकार की नौकरी का लालच सबसे अधिक दिया जाता है। ठगे गए कई लोग निजी क्षेत्र में नौकरी कर रहे थे लेकिन सरकारी नौकरी के लिए लगातार प्रयास में लगे थे।  

तीसरा तथ्य यह है कि हर बेरोजगार नौकरी पाने के लिए किसी तगड़ी सिफारिश, किसी विश्वस्त दलाल और घूस लेकर नौकरी दिलाने वाले किसी सहीव्यक्ति की तलाश में रहता है। सीधे रास्ते पर किसी का भरोसा नहीं। बिना लाखों रु दिए नौकरी मिलेगी नहीं, यह सब मानते हैं। चौथी बात यह कि ठगने वाले खुद बेरोजगार हैं और उनमें कई स्वयं ठगे जा चुके हैं। नौकरी पाने की उन्होंने इतनी तिकड़में की, इतने रास्तों से गुजरे कि शातिर ठग बनना उनसे सध गया। आए दिन नए ठग पैदा हो रहे हैं। वे ठगी के नए-नए विश्वसनीय तरीके खोज लाते हैं।

ऑनलाइन ठगी खूब फल-फूल रही है। रोजाना लोगों को बेवकूफ बनाकर उनके बैंक खातों से बड़ी रकम उड़ाई जा रही है। जादू की तरह ठगी हो रही है। फोन मंगाइए तो अन्दर से साबुन निकलता है।ईमेल पर लॉटरी निकलने की सूचना मिलना पुरानी बात हो गई। अब हार्वर्ड जैसे विश्वविद्यालय में नौकरी मिलने की खबर पाकर बड़े-बड़े सूरमा ठग लिए जाते हैं। ठगों से बड़ा मनोविश्लेषक और कौन होगा! 

ठगीआज का सबसे बड़ा रोजगार है। हमारे चारों तरफ ठग हैं। यह बात अपराध जगत के लिए ही नहीं, बाजार, तकनीक और राजनीति के लिए भी बराबर सत्य है। बस, एक फर्क है। राजनीति में ठगे जाने की शिकायत जनता नहीं करती। वह तरह-तरह से ठगे और बरगलाए जाने के बावजूद फिर-छले जाने के लिए खुशी-खुशी प्रस्तुत हो जाती है।

(सिटी तमाशा, नभाटा, 27 फरवरी, 2021)