Wednesday, April 06, 2011

सिडनी ओपेरा हाउस : हार्बर पर उगा अद्वितीय फूल





आस्ट्रेलिया के चार शहरों की यात्रा में हमारा पहला पड़ाव सिडनी था और वहां पहला ही साक्षात्कार सिडनी ओपेरा हाउस की सम्मोहित कर देने वाली डिजाइन से होता है। क्या ही खूबसूरत इमारत है। जितनी बार जितने कोणों से देखिए इसका नया ही आकर्षक रूप सामने आता है और यह तो हमें दूसरी शाम पता चला कि सिडनी ओपेरा हाउस का असली, भव्य दर्शन तो समुद्र में थोड़ा दूर जाकर होता है। जब हमने क्रूज की ढा़ई घण्टे की यात्रा में समुद्र में दूर से ओपेरा हाउस को देखा तो अहसास हुआ कि ढ़लती शाम की सुनहरी धूप और रात की जगमग रोशनी में ओपेरा हाउस का सौन्दर्य कई गुणा बढ़ गया है। हार्बर पर उगे किसी अद्वितीय फूल की तरह। समुद्र की लहरें निरन्तर जिसके चरण पखारती हों और सुबह से रात तक की विविध रोशनियाँ जिसका पल-पल नया ‍‌श्रंगार करती हों, ऐसे ओपेरा हाउस की छवि बस मन में टंकी रह जाती है।

और जब ओपेरा हाउस का वाक्पटु गाइड उसके निर्माण के इतिहास के रोचक और उदास प्रसंगों का बखान करता है तो उस दिव्य छवि में एक कसक भी समा जाती है। विश्वव्यापी डिजायन प्रतियोगिता के बाद चयनित जिस डच आर्कीटेक्ट उटजन ने 1959 में इसे अथक परिश्रम और लगन से बनवाना शुरू किया, वही इसका तैयार भव्य रूप कभी नहीं देख पाया। निर्माण के दौरान इतनी मुश्किलें आईं और अप्रिय विवाद उठे कि उटजन को इसके निर्माण से अलग कर दिया गया। बाद में उटजन सही साबित हुआ और उसी के मूल डिजायन और निर्देशों के तहत ओपेरा हाउस पूरा हुआ मगर 1973 में इसके उद्घाटन के समय उटजन का नाम तक नहीं लिया गया था। हालाँकि बाद में सिडनी ओपेरा हाउस ट्रस्ट ने उटजन को पूरा श्रेय दिया और उसे ससम्मान सिडनी आमंत्रित भी किया लेकिन उटजन अपनी इस अद्वितीय कृति को देखने फिर कभी सिडनी नहीं आया। हाँ, नवंबर 2008 में अपनी मृत्यु से पहले उसने ओपेरा हाउस के रखरखाव और भविष्य के लिए कुछ नई परिकल्पनाएँ जरूर भेजीं। आज सिडनी में उटजन को बड़े सम्मान के साथ याद किया जाता है और उसकी स्मृति में ओपेरा हाउस में बाकयदा ‘उटजन रूम’ भी बनाया गया है। उसे इस डिजायन के लिए आर्कीटेक्चर का सर्वोच्च सम्मान मिला और सिडनी ओपेरा हाउस को वर्ल्ड हेरिटेज सूची में जगह। इस इमारत में पाँच अलग-अलग आकार-प्रकार के थिएटर हैं जहाँ जाज, बैले, शास्त्रीय संगीत, नाटक, नृत्य सभी तरह के कार्यक्रम निरंतर होते रहते हैं-एक वर्ष में करीब 2500 प्रदर्शन!

सिडनी ओपेरा हाउस से नजर घूमी नहीं कि हमें ऐतिहासिक और आलीशान सिडनी हार्बर ब्रिज के दर्शन होते हैं। छह वर्ष के परिश्रम से बना और मार्च 1932 में पूरा हुआ यह पुल दुनिया का सबसे बड़ा (लम्बा नहीं) इस्पात चाप वाला पुल है। इसमें इतना लोहा लगा है कि उसे रंगने में 60 बड़े खेल मैदानों को रंगने के बराबर पेंट खर्च होता है और बड़े-बड़े जहाज इसके नीचे से आते-जाते हैं। इसके उद्घाटन का एक रोमांचक किस्सा भी है। 19 मार्च 1932 को भव्य समारोह में न्यू साउथ वेल्स के प्रीमियर जैक लांग इसका फीता काटते कि उससे पहले ही फौजी वेश में दौड़ते आए एक घुड़सवार ने अपनी तलवार से वह फीता काटकर जनता की ओर से पुल का उद्घाटन कर दिया था। उसे गिरफ्तार करके और दोबारा रिबन बाँधकर पुल का औपचारिक उद्घाटन किया गया। खैर, ओपेरा हाउस बनने से पहले यह पुल आस्ट्रेलिया, विशेषकर सिडनी का अन्तर्राष्ट्रीय पहचान प्रतीक था। अब ओपेरा हाउस इस पर भारी पड़ रहा है, हालाँकि सिडनी हार्बर ब्रिज आज भी उतना ही दर्शनीय और लोकप्रिय है और साहसी पर्यटक चार सौ सीढ़ियाँ चढ़-उतरकर सिडनी हार्बर ब्रिज के चाप (आर्क) की रोमांचक यात्रा करने से नहीं चूकते ।

सिडनी का तीन-चौथाई आकर्षण हार्बर के इर्द-गिर्द ही फैला है-ओपेरा हाउस और हार्बर ब्रिज के अलावा कोआला और कंगारू के स्नेहिल सानिध्य वाला टरोंगा जू, हजारों समुद्री प्राणियों का रोचक संसार दिखाने वाला सिडनी एक्वेरियम और वाइल्ड लाइफ वर्ल्ड, कैप्टन कुक की आस्ट्रेलिया की खोज और बाद की कई प्राचीन समुद्री यात्राओं का इतिहास संजोए आस्ट्रेलियन नेशनल मेरीटाइम म्यूजियम, नेशनल बाटेनिक गार्डन, आदि आकर्षण हार्बर पर ही हैं। हार्बर किनारे के बेहतरीन रेस्त्रां सुबह से रात तक खान-पान के शौकीनों से गुलजार रहते हैं। ‘एब-ओरिजनल्स’ अर्थात आस्ट्रेलियाई मूल के आदिवासी अपने लोक-करतब दिखाने हार्बर पर ही जुटते हैं तो हिन्दुस्तानी कस्बों की तरह सड़क छाप सर्कस या करतब दिखाकर पैसा मांगने (कमाने) वाले फुटपाथिए-करामाती भी हमें सिडनी हार्बर पर ही मिले। हार्बर पर आप घण्टों बैठे रह सकते हैं, आस्ट्रेलिया की बीयर अथवा वाइन का निर्मल आनन्द ले सकते हैं और मन करे तो स्पीड बोट का रोमांच उठा सकते हैं, जो समुद्र में 80 किमी प्रति घण्टे की रफ्तार से दौड़ते हुए सहसा पूरा ब्रेक लगाकर आपको लहरों पर चकरघिन्नी खिलाती और दाँएं-बाएं उछालती है। हमारे मुँह से तो चीख ही निकल गई थी और तीखा खारा पानी खुले मुँह में भर गया था। यह दुस्साहिक रोमांच पसंद न हो तो, आलीशान क्रूज भी हार्बर पर ही मौजूद हैं जो ढाई-तीन घण्टे की मादक यात्रा में बेहतरीन खान-पान, डांस और विविध मनोरंजन पेश करते हैं।

एक और रोमांचक आकर्षण सिडनी टावर है जो जमीन से 268 मीटर (879 फुट) ऊपर ले जाकर सिडनी का चौतरफा विहंगम दृश्य दिखाता है। अंतरिक्ष यात्री की सी पोशाक पहनाकर और कमर से बंधी जंजीरों को ‘स्काई वाक’ की रेलिंग से सुरक्षित कर आपको टावर के चारों ओर जैसे आकाश-मार्ग पर ही घुमाया जाता है। पैरों के नीचे शीशे की फर्श होती है जो हवा में खड़े होने की प्रतीति कराती है और ऊँचाई से डरने वालों की सांसें थाम देने को काफी है। हवा के तेज थपेड़ों के बीच टावर के चारों ओर घूमते हुए आप सिडनी के हर कोण से दर्शन करते हैं। प्रशान्त महासागर का नीला विस्तार अनन्त की ओर ले जाता है और हम दार्शनिक होने लगते हैं लेकिन फिर टावर की तेज रफ्तार लिफ्ट हमें 40 सेकेण्ड में 268 मीटर से जमीन पर उतार लाती है।

बोण्डाई से बोंटी बीच की कोई 4 किमी की पैदल यात्रा से हमारे सिडनी दर्शन का समापन होता है। सिडनी शहर से 8 किमी दूर आस्ट्रेलिया के सबसे सुन्दर समुद्र तटों में शुमार बोण्डाई से बोंटी तक का यह छोर सुनहरी रेत पर छोटी-बड़ी लहरों की अठखेलियों से लेकर चट्टानों पर उनके आक्रामक प्रहार तक का विविध नजरा पेश करता है। प्रशान्त महासागर के नीले विस्तार से उठती धवल-उच्छृंखल लहरों में तैरते, भीगते, बैठे-लेटे, नंगे-अधनंगे सैलानियों से पूरा तट भरा पड़ा है। भारी भीड़ के बावजूद समुद्र तट की स्वच्छता ध्यान खींचती है। स्वर्णिम रेत वाले इस बेहद खूबसूरत समुद्र तट पर तरह-तरह से अपनी ही मस्ती में डूबे लोगों को देखकर लगता है संसार में कहीं कोई कष्ट और अभाव नहीं है, आनन्द ही आनन्द है!

यहाँ यह सोचना भी जैसे इस आनन्द लोक में खलल डालना है। एक बड़ी शैतान लहर मुझे पूरा भिगोकर जैसे सचेत कर जाती है।