Friday, April 06, 2018

दलित-राजनीति और दलित की बारात



इक्कीसवीं सदी का यह 19वां वर्ष है. दलित हितों के लिए लड़ने का दावा और वादा करने के लिए सभी राजनैतिक दलों में होड़ मची है. आम्बेडकर जयंती करीब है. सभी राजनैतिक पार्टियां उसे धूमधाम से मनाने की तैयारियां कर रही हैं. एससी-एसटी एक्ट पर मारामारी मची है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद रोज पहले कहा कि सरकार आम्बेडकर के दिखाये रास्ते पर आगे बढ़ रही है. मुख्यमंत्री योगी कह रहे हैं कि उनकी सरकार दलितों की रक्षा के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी.

इस सब के बीच एक दलित युवक अपनी बारात गांव के बीच से ले जाने के लिए अदालत से लेकर आला पुलिस अधिकारियों तक गुहार लगा रहा है. वह धूमधाम से बारात ले जाना चाहता है. उसकी मंगेतर चाहती है कि उसका दूल्हा घोड़ी पर चढ़ कर उसे ब्याहने आये. गांव के सवर्णो ने चेतावनी दी है कि वह उनके घरों के सामने से बारात नहीं ले जा सकता. चाहे तो लड़की के घर से दूर एक छोटे मैदान में शादी कर सकता है. लड़के-लड़की दोनों का कहना है कि वह मैदान बहुत छोटा है. वहां धूमधाम से ब्याह नहीं हो सकता.  

मामला कासगंज जिले के निजामपुर गांव का है. हाथरस के जाटव युवक संजय कुमार की शादी इस गांव की शीतल से 20 अप्रैल को होनी तय हुई है. संजय कानून का विद्यार्थी है. शीतल के गांव वालों की आपत्ति के बाद संजय ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की कि उसे बारात निकालने की इजाजत दी जाए, उसकी सुरक्षा की जाए. अदालत ने कहा कि वह ऐसा आदेश नहीं दे सकती. संजय को पुलिस प्रशासन के पास जाना चाहिए.

पुलिस ने उससे कहा कि गांव की कुछ परम्पराएं होती हैं. उन्हें नहीं तोड़ना चाहिए. उससे कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है. चूंकि मामला अदालत तक जा चुका था इसलिए कासगंज पुलिस ने संजय को बारात ले जाने के लिए गांव के बाहर-बाहर का रास्ता सुझाया, जो करीब एक किमी और लम्बा है.

लड़के का कहना है कि वह गांव की सीमा से लड़की के घर तक बारात ले जाएगा. उसका मासूम-सा सवाल है कि अगर सवर्ण हमारे लोगों के घरों के सामने से बारात ले जा सकते हैं तो हम उनके घरों के सामने से क्यों नहीं? न गांव वाले राजी हैं, न पुलिस उन्हें राजी करने का प्रयास कर रही है. पुलिस संजय के सामने पिछले कुछ उदाहरण रख रही है जिनमें दलितों की बाहर से आई बारातों ने गांव की परम्परानहीं तोड़ी थी, यानी बारात सवर्णों के घर के सामने से नहीं ले गये थे.

इसे लिखते वक्त यह पता चला है कि कासगंज के डी एम और एसएसपी ने लड़की के घर वालों से कहा है कि आपकी बेटी शीतलअवयस्कहै.उनके पास उस स्कूल के प्रधानाचार्य का हस्तलिखित पत्र है, जहां लड‌की बचपन में पढ़ती थी. उसके अनुसार शीतल 18 साल से दो महीने छोटी है. अब अवयस्क लड़की की शादी होने देकर प्रशासन कानून का उल्लंघन कैसे होने दे सकता है. कानून-व्यवस्था और गांव की परम्पराबनाये रखने के लिए यह शानदार उपाय निकल आया. घर वाले इसे अड़ंगा लगाने का तरीका बता रहे हैं.

बीस अप्रैल को क्या होगा मालूम नहीं लेकिन हम पाठकों से आग्रह करेंगे कि वे पहले पैराग्राफ को एक बार फिर पढ़ें, अपने समाज, राजनीति और प्रशासन के हालात के बारे में थोड़ा विचार करें.
(सिटी तमाशा, नभाटा, 7 अपरिल 2018

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