Tuesday, May 16, 2023

मेघालय में मातृसत्तात्मक बनाम पितृसत्तात्मक

मेघालय में इन दिनों मातृसत्तात्मक और पितृसत्तात्मक व्यवस्था के बीच रोचक संघर्ष छिड़ा हुआ है। पिछले मास 'खासी हिल ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल' ने यह आदेश जारी किया कि जो बच्चे अपने नाम के साथ पिता का वंशनाम लिखने लगे हैं, उन्हें अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जाएगा। राज्य की तीन प्रमुख जनजातियां- खासी, गारो और जैंटिया मातृसत्तात्मक समाज हैं। उनकी सन्ततियां अपने नाम के साथ माता का कुलनाम लिखती आई हैं। 1960 के आस-पास से एकाध संगठन इसे पितृसत्तात्मक व्यवस्था बनाने के लिए प्रयत्नशील हैं। कोई डेढ़ बरस पहले एक नई राजनैतिक पार्टी बनी- द वॉयस ऑफ द पीपल पार्टी। पिछले चुनावों में उसके चार विधायक भी चुने गए। वह पितृसत्तात्मक व्यवस्था अपनाने के लिए प्रयत्नशील ही नहीं बल्कि आक्रामक रुख अपना रही है। उन खासी युवतियों के बच्चों पर पिता का वंशनाम लिखने का दबाव पड़ रहा है जो गैर-खासी समुदाय में विवाह करती हैं। पिता का वंशनाम लिखने वाले ऐसे बच्चे जब अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र लेने जा रहे हैं तो उन्हें अब मना कर दिया जा रहा है। खासी हिल ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के 1970 में बने एक कानून के मुताबिक अपने नाम के साथ माता का कुलनाम लिखने वाले बच्चे ही खासी माने जाएंगे। पितृसत्तात्मक व्यवस्था के लिए लड़ने वाले कुछ पुरुष अधिकार संगठन भी इस संघर्ष में कूदे हुए हैं।

हमारे देश में आज भी कई आदिवासी समाजों में मातृसत्तात्मक व्यवस्था है। पूर्वोत्तर भारत में उनकी संख्या काफी है। 201 की जनगणना के अनुसार मेघालय में खासी जनजाति की जनसंख्या एक लाख 41 हजार बताई गई है। खासी, गारो और जैंटिया मिलाकर इस राज्य में 85 प्रतिशत से ऊपर हैं। उत्तराखण्ड और हिमाचल जैसे हिमालयी समाजों में मातृसत्तात्मक जनजातियों की संख्या क्रमश: कम होती जा रही है। उत्तराखण्ड में थारू, बुक्सा और राजी मातृसत्तात्मक जनजातियां हैं जो आधुनिक जीवन और 'विकास' के सम्पर्क में आकर अपनी पहचान और संख्या खोती जा रही हैं। राजी या वनराजि तो चार-पांच सौ की संख्या में ही रह गए हैं।
अपना देश इतना विशाल और विविध है कि हम बहुत से समाजों और उनकी व्यवस्थाओं के बारे में जानते ही नहीं। भाषाई मीडिया भी उनकी ओर नहीं देखता। अंग्रेजी मीडिया में कभी-कभार कुछ पढ़ने को मिल जाता है। यह जानकारी मुझे आज के 'The Hindu' के पहले पन्ने पर प्रकाशित एक समाचार से मिली।

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