Wednesday, May 04, 2011

गोल्ड कोस्ट- धूप नहाए पुरसुकून बीच






यह सचमुच आस्ट्रेलिया का सुनहरा तट है, एक और बहुत सुन्दर शहर। कोई 70 किमी. का विशाल समुद्री तट और साल में लगभग 300 दिन धूप से नहाए पुरसुकून बीच। दूर-दूर तक प्रशान्त महासागर का विस्तार। आसमान छूती अट्टालिकाएँ, जिनमें 77वीं मंजिल तक रिहायश वाले क्यू-1 टावर की 78वीं मंजिल से जो विराट और दिव्य दर्शन होते हैं तो पता चलता है कि इस शहर का नाम ‘गोल्ड कोस्ट’ क्यों पड़ा। 78वीं मंजिल की जिस खिड़की पर हम खड़े हैं उस पर लिखा है- ‘नजर की सीध में 16,083 किमी. दूर न्यूयार्क है’। वाह, क्या बात है!

एक तरफ गगनचुम्बी इमारतें और दूसरी तरफ अथाह जलराशि। धूप में नहाया समुद्र तट, सुनहरी रेत और ‘बीच-गार्डस’की सतर्क निगाहों की सुरक्षा में लहरों से खेलते सैलानी। हर साल एक करोड़ से ज्यादा पर्यटक गोल्ड कोस्ट आते हैं और उनमें भारतीयों की भी अच्छी खासी संख्या है। गोल्ड कोस्ट की सड़कों पर घूमते हुए हमें ‘शेर-ए-पंजब’, ‘इण्डियन फैमिली रेस्त्रां’, ‘ऊँ-इण्डिया हाउस’, ‘तन्दूरी हट’, ‘तन्दूरी प्लेस’ जैसे नाम-पट दिखाई देते हैं। ‘राज पैलेस’ में व्यास (पंजाब) से आई सिमी हमें खाना परोसती हैं तो उसकी लहराती लम्बी चोटी गोल्ड-कोस्ट में भारतीय ध्वज जैसी लहराती है। होटल के बाहर दीवार पर पोस्टर लगे हैं- ‘फॉर सेल’, निजी क्रूज की बिक्री की सूचना। सबसे सस्ता क्रूज चार मिलियन आस्ट्रेलियन डालर (करीब 20 करोड़ रु.) का है। हमारे स्थानीय साथी ग्रेग हमारे चौंकने पर हँसते हैं- ‘यहाँ आस्ट्रेलिया के सबसे अमीर लोग बसते हैं। शायद यह इसलिए भी गोल्ड-कोस्ट है!’

गोल्ड कोस्ट आने से पहले हम एक दिन ब्रिसबेन रुके थे, क्वींस लैण्ड प्रान्त की राजधानी, एक और खूबसूरत शहर, जहाँ इसी नाम की नदी शहर के बीच में बहती है जिस पर सिडनी हार्बर ब्रिज जैसी ऐतिहासिकता वाला स्टोन ब्रिज तो है ही, नदी के भीतर से गुजरने वाली टनल-रोड भी है। ब्रिसबन के इर्द-गिर्द बहुत से पर्यटक स्थल हैं लेकिन हमें करीब एक सौ किमी. दूर गोल्ड कोस्ट जाते हुए सिर्फ दो जगह रुकना था।

पहले आस्ट्रेलिया जू जिसके स्वस्थ्य पशु-पक्षियों, चुस्त कर्मचारियों और सनसनीखेज प्रदर्शनों को देखकर बरबस ही अपने अव्यवस्थित चिड़ियाघरों के मरियल जनवरों और बेहाल कर्मचारियों की याद हो आती है। लेकिन आस्ट्रेलिया जू का जिक्र होते ही सबसे पहले स्टीव इरविन याद आते हैं। सन् 2008 में ग्रेट बैरियर रीफ में शूटिंग के दौरान स्टिंग-रे के जहरीले दंश से स्टीव इरविंग की दर्दनाक मृत्यु नहीं हुई होती तो मार्च 2011 में आस्ट्रेलिया जू में हम उनसे मिलकर निश्चय ही गदगद होते। डिस्कवरी चैनल के जरिए अपने दुस्साहसिक कारनामों से विश्वविख्यात हुए स्टीव की मौत भारत में भी सुर्खियां बनी थी। आस्ट्रेलिया जू में हमें मगरमच्छों के साथ खेलते-हँसते स्टीव के पोस्टर ही पोस्टर दिखाई देते हैं। स्टीव की देखरेख में ही आस्ट्रेलिया जू को विश्वख्याति मिली, जहाँ आज भी उनके सहयोगी मगरमच्छों के साथ सनसनीखेज प्रदर्शन करते-कराते हैं।

गोल्ड कोस्ट के रास्ते का दूसरा पड़ाव था -ड्रीम लैण्ड, स्वप्न लोक जैसा ही। रहस्य-रोमांच और सनसनी से भरे मनोरंजन के एक से एक साधन। हम तो सिर्फ एक ‘टॉवर ऑफ टेरर’ का आनन्द लेकर ही आतंकित हो बैठे। जानते हैं क्या? खुली कारनुमा एक डिब्बा हमें ‘एल’ आकार की पटरी पर 160 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से 115 मीटर (38 मंजिल जितना ऊँचे) ऊपर ले गया, सिर्फ सात सेकण्ड में और उतनी ही तेजी से नीचे ले आया! हमारे मुँह से तो चीख भी न निकली थी। अब तक सोचकर सिहरन हो रही है, लेकिन वहाँ ऐसी कई सनसनियां थीं और उनका लुत्फ उठाते युवाओं की लम्बी कतारें लगीं हुई थीं।

बहरहाल, गोल्ड कोस्ट से हमारी वतन वापसी होती है।

1 comment:

Ajayendra Rajan said...

sir apka tour blog ki is khidki se kaafi roshni deta hai...roshni ka safar jari rakhein...australia me abhi kaafi kuch baaki hoga