Friday, January 12, 2018

शहर में बढ़ता शोर और ‘यू पी-100’


दिन ही नहीं रातों का शोर भी इतना बढ़ गया है कि बड़ी आबादी परेशान है. पुलिस से शिकायत करने में डर के बावजूद  2017 में यूपी-100’ (पुलिस की त्वरित सेवा) ने ध्वनि प्रदूषण की 21 हजार शिकायतें दर्ज कीं. उच्च न्यायालय कई बार राज्य सरकार को निर्देशित कर चुका है कि लाउड स्पीकर पर रोक लगायी जाए. अब राज्य सरकार ने मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारे, आदि का सर्वेक्षण शुरू किया है कि कहां-कहां बिना अनुमति के लाउड स्पीकर लगे हुए हैं. बिना अनुमति लाउड स्पीकर से शोर फैलाना दण्डनीय बनाया जाएगा.

सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश है कि रात दस बजे बाद किसी प्रकार का कानफाड़ू शोर न मचाया जाए. इस निर्देश की खूब अनदेखी होती है. प्रशासन और पुलिस देख कर भी अनजान बने रहते हैं. सबसे ज्यादा शोर बारातें मचाती हैं, आधी-आधी रात तक लेकिन यह चंद महीनों के कुछ खास दिनों ही रहता है.

साल भर शोर मचाने में डीजे, आदि अब आगे हैं. शहर जैसे-जैसे आधुनिक हो रहा है वैसे-वैसे खुली छतों पर रेस्त्रां एवं बार खोले जा रहे हैं- रूफ टॉप’. पीना और भयानक धूम-धड़ाके में नाचना आधुनिक होने की निशानी है.  वे खुली छ्तों पर डीजे लगाते हैं. उसका शोर दूर-दूर तक के लोगों को परेशान करता है. आस-पास वालों  घरों के खिड़की-दरवाजे बजते हैं.

यूपी-100’ ने एक साल में शोर की जो 21 हजार शिकायतें दर्ज कीं, उनमें अधिकसंख्य लखनऊ की हैं. पिछले कुछ महीनों से गोमती नगर के पत्रकारपुरम चौराहे पर भी एक रूफ टॉप खुल गया है. पांच मंजिली इमारत की छत पर खुले में जब डीजे बचता है तो ड्रम के धमाके ही नहीं नाचने वालों की चीखें भी आस-पास वालों को आधी रात तक सोने नहीं देतीं.

हमने एक रात 100नम्बर पर फोन किया. हम चकित और खुश हुए जब फौरन शिकायत दर्ज की गयी. एसएमएस आया कि कौन-सी गाड़ी हमारी शिकायत पर कार्रवाई करने निकली है.  तभी उस गाड़ी से फोन आ गया. आश्वासन दिया कि अभी डीजे बंद कराते हैं. शिकायत करने के चौदह मिनट बाद डीजे का शोर थम गया. हमने बड़ी राहत के साथ पुलिस को ट्वीटर पर थैंक-यूकहा.

अगली रात फिर डीजे चालू हो गया. तबसे लगभग रोज चालू हो जाता है. शनिवार-इतवार की रातों में तो शाम से देर रात तक. इस बीच हम कम से कम पांच बार शिकायत दर्ज करा चुके. हर बार थोड़ी देर में शोर शांत या बहुत कम करा दिया गया. अगली शाम से फिर चालू. कोई कितनी शिकायत करे!

रात में डीजे गैर-कानूनी है तो अगली ही रात डी जे क्यों चालू हो जाता है? दोबारा शिकायत नहीं की जाए तो शोर जारी रहता है. क्या जनता की शिकायत एक ही रात के लिए होती है? नियम का पालन एक ही रात के लिए कराया जाएगा, वह भी शिकायत पर?

अब देखना यह है कि लाउड-स्पीकर की अनुमति लेने का नियम सिर्फ धर्म-स्थलों तक रहता है या रूफ-टॉप डीजे भी इसकी जद में आते हैं. अब तक का अनुभव तो यही है कि हाई कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कुछ दिन कार्रवाई की जाती है.  फिर जो जैसा था, वैसा हो जाता है. अतिक्रमण हटाना हो या शोर थामना.

 (सिटी तमाशा, नभाटा, 13 जनवरी, 2018)

No comments: