Wednesday, January 03, 2018

योगी के निशाने पर मदरसे क्यों हैं?


उत्तर प्रदेश के मदरसों के लिए पिछले वर्ष एक पोर्टल बनाकर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने तथा स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण एवं राष्ट्रगान की वीडियोग्राफी करने के फरमान के बाद नये साल में योगी सरकार ने उनकी विशेष धार्मिक छुट्टियों पर कैंची चला दी है. यही नहीं, रक्षाबंधन, महानवमी, दशहरा और दीवाली जैसे पर्वों पर मदरसों में अवकाश घोषित कर दिया है.
अभी तक उत्तर प्रदेश के मदरसों में मुस्लिम पर्वों पर विशेष अवकाश होता था. इसके अलावा वे होली और अम्बेडकर जयंती पर बंद रहते थे. दशहरा-दीवाली पर वहां छुट्टी की व्यवस्था नहीं थी.
योगी सरकार इससे पहले भी मदरसों के लिए कुछ फरमान जारी कर चुकी है. पिछले वर्ष जुलाई में उसने एक पोर्टल बनाया, जिस पर सभी मदरसों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया था. इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं करने वाले मदरसे सरकारी अनुदान से वंचित हो जाएंगे.
मदरसों को स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने, राष्ट्रगान गाने और पूरे कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग कराके प्रशासन को भेजने के निर्देश भी योगी सरकार ने बीती अगस्त में जारी किये थे.
दस की बजाय सिर्फ चार  छुट्टियां
प्रदेश में उन्नीस हजार से कुछ ज्यादा मदरसे हैं. उनमें अभी तक मुस्लिम पर्वों पर दस छुट्टियों की व्यवस्था थी. ईद व मुहर्रम जैसे मौकों पर मदरसों के व्यवस्थापक अपने हिसाब से कुल दस दिन छुट्टी कर सकते थे. सन 2018 के नये सरकारी कलेण्डर के मुताबिक अब वे इन अवसरों पर सिर्फ चार दिन अवकाश रख सकते हैं. वह भी एक बार में एक दिन से ज्यादा नहीं.
कोई मदरसा किस दिन अवकाश रखेगा, यह सूचना उसे एक सप्ताह पहले जिला अल्पसंख्यक अधिकारी को लिखित रूप में देनी होगी.
मदरसों के लिए नये कैलेण्डर में मुस्लिम पर्वों पर छुट्टियों की कटौली करने के साथ सात नये अवकाश जोड़े गये हैं. इसके मुताबिक अब उन्हें महानवमी, दशहरा, दीपावली, बुद्ध पूर्णिमा, महावीर जयंती, और क्रिसमस पर भी अवकाश रखना होगा.   
टाइम्स ऑफ इण्डियामें बुधवार को प्रमुखता से प्रकाशित एक रिपोर्ट में मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार राहुल गुप्ता ने बताया है कि पहले दस दिन का अवकाश मदरसा व्यवस्थापकों के विवेक पर रहता था लेकिन अब चार दिन का अवकाश पूर्व-निर्धारित होगा.
नये निर्देशों के अनुसार स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर मदरसों में पढ़ाई नहीं होगी लेकिन विद्यार्थियों, शिक्षकों, कर्मचारियों और प्रबंधकों को मदरसे में आयोजित कार्यक्रमों में शामिल होना होगा.
मदरसों पर नियंत्रण बढ़ा
प्रदेश में भाजपा की प्रचण्ड विजय के बाद गोरक्ष पीठ के महंत आदित्यनाथ योगी के नेतृत्त्व में बनी सरकार के इन कदमों को मुस्लिम संस्थाओं पर नजर रखने और उनकी स्वायत्तता छीनने के रूप में देखा जा रहा है.  योगी की छवि आक्रामक हिंदू नेता की है. मुख्यमंत्री बनने से पहले उनके कई मुस्लिम विरोधी बयान विवाद का मुद्दा रहे हैं.
मदरसों की छुट्टियों में कटौती और गैर-मुस्लिम पर्वों पर छुट्टियां अनिवार्य करने का ताजा फैसला सरकार के मुस्लिम विरोधी रवैये के रूप में देखा जा रहा है. एक मदरसा मौलवी ने नाम न लिखने की शर्त पर कहा कि मदरसे धार्मिक शैक्षिक संस्थान हैं. उनमें अपने धार्मिक पर्वों पर छुट्टी होती रही है. दशहरा-दीवाली पर छुट्टी हो, यह तो ठीक है लेकिन मुस्लिम पर्वों पर छुट्टी कम करना आपत्तिजनक है. इस फैसले की मुस्लिम समाज में तीव्र प्रतिक्रिया होगी.
देश-प्रेम पर शक’?
मुस्लिम संस्थाओं ने पिछले वर्ष भी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने और स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रमों की वीडियोग्राफी करने वाले फैसलों आलोचना की थी. सरकार का कहना था कि सरकारी पोर्टल पर मदरसों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने का उद्देश्य उनके काम-काज में पारदर्शिता, गुणवत्ता और विश्वसनीयता लाना है.
स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रमों की वीडियोग्राफी कराने पर मुस्लिम संगठनों की तीखी प्रतिक्रिया थी कि यह इस देश के मुसलमानों के देश-प्रेम पर शक करने जैसा है. 
भाजपा और हिंदूवादी संगठन मदरसों को अच्छी नजर से नहीं देखते रहे हैं. मदरसों के खिलाफ अक्सर वे बयानबाजी करते हैं. यह भी आरोप लगाया जाता रहा है कि सीमा पर कुछ मदरसे चरमपंथियों को आश्रय देते हैं.
मुसलमानों में असुरक्षा-बोध
योगी सरकार के कतिपय निर्णयों से ही नहीं, भाजपा के कुछ विधायकों के बयानों से भी प्रदेश के मुसलमानों में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है.
मुजफ्फरनहर की खटौली सीट से भाजपा विधायक विक्रम सैनी ने नये साल के अवसर पर आयोजित एक समारोह में कहा कि “कुछ नालायक नेताओं ने इन लम्बी दाढ़ी वालों को यहां रोक कर रखा. इन लोगों ने जमीन और दौलत हथियाई. अगर ये ना होते तो यह सब हमारा होता ... यह देश हिंदुओं का है.”
भाजपा विधायक का यह बयान मीडिया में तो आया ही, उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. इस तरह के बयान बीच-बीच में भाजपा और संघ नेताओं के मुंह से सुनने में आ रहे हैं. मुख्यमंत्री या अन्य वरिष्ठ नेता अपने विधायकों को ऐसी टिप्पणियां करने से बरज नहीं रहे.
उलटे, सरकार के कुछ फैसलों से भी मुसलमानों में आशंका व्याप रही है.

(https://hindi.firstpost.com/politics/yogi-adityanath-cut-madarsa-holidays-why-are-the-madarsas-on-the-target-of-the-yogi-after-coming-to-power-78613.html)

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