Friday, April 15, 2016

सिटी तमाशा / क्यों डराते हैं अच्छी बारिश के आसार?


किसानों को जरूर यह खबर ठंढी हवा के झोंके की तरह लगी होगी कि इस बार बहुत अच्छी बारिश होगी, सामान्य से ज्यादा. पिछले दो-तीन साल से मानसून रूठा हुआ था. खेती सूख गई, किसान तबाह हुए और महंगाई बढ़ी. अच्छी बारिश की बड़ी जरूरत है.
लेकिन यह खबर पढ़ते ही बहुत डर गए हम. हमारे नगर-महानगर इस अच्छी बारिश को कैसे झेल पाएंगे? जरा सी बारिश में जलभराव से डूब जाने वाले हमारे शहरों का क्या हाल होगा? बेहिसाब बढ़ती आबादी से चरमराए शहरों के नाले-नालियों में इतनी क्षमता नहीं कि वे थोड़ी सी बारिश का पानी भी कायदे से ले जा सकें. जलग्रहण क्षेत्र और तटों पर भारी अतिक्रमण की मारी नदियां अब बारिश से डरती हैं, उनका बहाव उलटा होकर शहरों की आबादी को लीलने लगता है. पिछले साल चेन्नै में क्या हुआ था? बारिश के पानी के प्राकृतिक बहाव के लिए हमने कोई जगह ही नहीं छोड़ी. तालाब तक पाट दिए और ढाल वाले इलाकों में अपार्टमेण्ट बना दिए. सुंदर बनाने के नाम पर नदी के किनारे भारी कंक्रीट से बांध दिए. इस बार का मानसून लखनऊ में दो शानदारनिर्माणों को बहुत हैरत और सदमे से देखने वाला है. एक, गोमती नगर जैसे इलाके में बड़े-बड़े नालों के ऊपर स्लैब ढाल कर साइकिल ट्रेक बना दिए गए हैं. नालों में पानी जाने का रास्ता नहीं बचा या अतिक्रमणकारियों ने उसे कचरे से बंद कर दिया है. दो, बीच शहर में गोमती नदी का काफी लम्बा तट रिवर फ्रण्ट डेवलपमेण्ट के नाम पर कंक्रीट से पाट दिया गया है. नदी को नहर-सा बांध दिया है. अच्छी बारिश यह विचित्र नजारा देखकर हड़बड़ा जाएगी और गुस्से में पता नहीं क्या-क्या कर डाले. पानी सड़कों, मुहल्लों, घरों का रुख करेगा. साइकिल ट्रेक पर नगर निगम ने ही एलडीए से आपत्ति जता दी है.
लेकिन डरना एक बात और कमर कसना अलग बात. सो, अभी भी वक्त है कि कुछ साज-सम्भाल कर ली जाए. नालों को खूब साफ किया जाए, तालाब कहीं बचे हैं तो उन्हें गाद निकाल कर गहरा-चौड़ा किया जाए, बड़े-बड़े पार्कों में थोड़ी खुदाई कर पानी के कुछ देर ठहरने की व्यवस्था हो, इतनी देर कि बारिश का पानी मिट्टी में सीझ सके. बड़ी-बड़ी सरकारी इमारतों में बारिश के पानी को जमीन के नीचे डालने की आसान सी व्यवस्था दुरुस्त की जाए. जवाहर भवन, इंदिरा भवन और पिक-अप जैसी विशाल इमारतों में वर्षा जल संचयन प्रणाली पूरे तंत्र को मुंह चिढ़ा रही है. हुजूर, उसे ठीक करिए. और भी बड़ी इमारतों में उसे लगाइए. इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ की आलीशान इमारत का हाल ही में उद्घाटन हुआ है. हमें पूरी उम्मीद है कि वर्षा जल के साथ पूरा न्याय करने की व्यवस्था इस खूबसूरत भवन में होगी ही.  यह न्याय शहर में यथासम्भव हर जगह पहुंचे. छोटे-छोटे व्यक्तिगत स्तर तक यह काम हो. अधिक से अधिक नागरिक इस पुण्य कार्य में योगदान करें.  धरती की सूखती कोख इससे हरी होगी, जल स्तर बढ़ेगा और बारिश से जल भराव एवं बाढ़ की सम्भावना बहुत कम हो जाएगी.    
बारिश जीवन दायिनी है. उसका सामान्य से कुछ अधिक होने की खबर शुभ होनी चाहिए. उससे डर लग रहा है तो कारण हम हैं. हमने ही उसका सम्मान करना और उसके लिए पर्याप्त जगह  छोड़ना बंद कर दिया. कमर कसिए, खूब बारिश के लिए तैयार रहिए और उसका स्वागत कीजिए. पानी का संकट भी टलेगा और बाढ़ व जल जमाव के नुकसान भी न होंगे. ठीक?
लेकिन मैं यह किससे कह रहा हूं?
(नभाटा, अप्रैल 15, 2016)


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