Monday, October 24, 2016

राम कथा के भव्य लेजर शो से होगा डेंगू का इलाज?

चुनावी तमाशा

चुनाव सामने हैं. राजनैतिक दलों को मुद्दों की तलाश है. मुद्दे बनाए जा रहे हैं, उन पर बहस की जा रही है. सर्जिकल स्ट्राइक पर कोई अपनी पीठ ठोक रहा है और सवाल उठाने वालों को चीख-चीख कर देशद्रोही बताया जा रहा है. कोई रोड शो करके प्रधानमंत्री को गरिया रहा है, कोई मुसलमानों का नया शुभचिंतक दिखने की कोशिशों में है और किसी का ध्यान दलितों के घर खाना खाने और अम्बेदकर के गुणगान पर है.
उधर, राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के कई शहरों में डेंगू, चिकनगुनिया और घातक बुखार फैला है. सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए जगह नहीं है. प्राइवेटअस्पताल मुर्दे को भी आईसीयू में रख कर तीमारदारों से धन वसूली में लगे हैं. स्वास्थ्य विभाग मानने को ही तैयार नहीं कि डेंगू से मौतें हो रही हैं जबकि अखबार रोजाना होने वाली मौतों की खबरों से भरे पड़े हैं. मौतों का आंकड़ा डेढ़ सौ से ऊपर करीब पहुंच गया है. सरकार हाई कोर्ट की फटकार के बावजूद दस की संख्या नहीं बता पा रही. जिम्मेदार विभाग पानी में क्लोरीन मिला पा रहे न शहरों में सड़ता कूड़ा उठवा पा रहे. पार्षद से सांसद तक चुनावी मोड में हैं जिसमें जनता के दुख-दर्द नहीं, सिर्फ उसके वोट दिखाई देते हैं.
देखिए, सबको अयोध्या और राम याद आ गए हैं. “राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे” का नारा लगाने वाले अब अयोध्या में भव्य रामायण संग्रहालय बनवाने की बात कर रहे हैं. राम मंदिर का झुनझुना कई कारणों से नहीं बज पा रहा, इसलिए. मंदिर बनवाने वालों पर गोली चलवाने वालों का दावा है कि अयोध्या में राम संग्रहालय तो हम बनवाने वाले हैं. हमने प्रस्ताव पास कर रखा है. ताला खुलवाने वाले अब इसे आरोप मानने की बजाय हनुमान गढ़ी के दर्शन कर छवि बदलने का प्रयास कर रहे हैं. राम के नाम पर चुनावी युद्ध का बिगुल बज चुका है.
बीमारियों और मौतों से दहशत में जी रही जनता को समझ में नहीं आ रहा कि राम के नाम पर संग्रहालय की घोषणा से मच्छर कैसे मरेंगे, कूड़ा कैसे हटेगा और उचित इलाज की व्यवस्था कैसे होगी. डेंगू और घातक बुखार दलितों को मार रहा है, मुसलमानों को भी तथा ब्राह्मणों-ठाकुरों-पिछड़ों को भी. उनका मरना नहीं दिख रहा, उनके वोट बटोरने पर पूरी नजर है. इलाज का हाल राजधानी ही में बुरा है तो बाकी प्रदेश की क्या कहें लेकिन सरकार का ध्यान स्मार्ट फोन योजना का प्रचार करने पर ज्यादा है गोया कि उसमें बीमारियों से बचने का वैक्सीन छुपा हो.
राजनैतिक दलों को जनता की मूल समस्याओं को चुनाव का बड़ा मुद्दा बनाने का ख्याल नहीं है. कोई उन कारणों की पड़ताल नहीं कर रहा कि डेंगू से हर साल और ज्यादा लोग क्यों मरते जा रहे हैं. उन कारणों को दूर करने और इलाज की बेहतर सुविधाओं की बात नहीं हो रही. विकास की बातें सभी दलों के नेता कर रहे लेकिन बेहतर इलाज और बीमारियों की रोकथाम की व्यवस्था उनके विकास में शामिल नहीं. रामायण संग्रहालय बनाना विकास है. वहां रोजी-रोटी, कपड़ा और दवाएं मिलेंगी या राम कथा का आकर्षक लेजर शो सारे दुख-दर्द हर लेगा? (नभाटा, 23 अक्टूबर, 2016)


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