किसी को नौ पैसे तो किसी को दो रु का ऋण माफ होने के प्रमाण
पत्र बांटे मंत्रियों ने
नवीन जोशी
नगीना (जिला बिजनौर, उत्तर प्रदेश) की किसान बलिया देवी को जब
बताया गया कि प्रदेश की योगी सरकार ने उनका नौ पैसे (जी हां, नौ पैसे मात्र) का फसली ऋण माफ कर दिया है तो वे हैरान रह गयीं. बहुत देर
तक उनके मुंह से बोल ही नहीं फूटे.
उमरी गांव (जिला हमीरपुर, उ प्र) की शांति
देवी को प्रदेश के श्रम एवं रोजगार मंत्री मुन्नू कोरी ने किसान कर्ज माफी का
प्रमाण पत्र सौंपा तो वे बहुत खुश हुईं. लेकिन जब पता चला कि उनका सिर्फ रु 10.37
(दस रुपए सैंतीस पैसे) माफ हुआ है तो सारी खुशी काफूर हो गयी.
हमीरपुर जिले ही के मौदहा के किसान मुन्नी लाल के हाथ में
आया ‘कृषि ऋण मोचन योजना’ का प्रमाण पत्र
बताता है कि उनका रु 215 मात्र ( दो सौ पंद्रह रु मात्र) माफ हुआ है. मंत्री जी के
हाथों प्रमाण पत्र पाने के बाद से मुन्नी लाल की समझ में नहीं आ रहा कि हंसें कि
रोएं.
भरथना (जिला इटावा) के ईश्वर दयाल मात्र 19 पैसे और चकर नगर
के रामानंद 179 रु की कर्ज माफी का प्रमाण पत्र देख कर माथा पीट रहे हैं. जालौन, कन्नौज, फर्रुखाबाद और महोबा जिलों के भी कई किसान
ऐसी ही ऋण माफी से खिन्न और हैरान हैं.
किसानों की कर्ज माफी का बड़ा ढिंढोरा पीट रही उत्तर प्रदेश
की योगी सरकार ने बहुत से किसानों को ठगा-सा एवं हैरान-परेशान कर रखा है. दावा था
एक लाख रु तक का फसली ऋण माफ करने का लेकिन कई किसान नौ पैसे, चौरासी पैसे, दो रु, दस रु,
जैसी ऋण माफी का पत्र पाकर सिर पीट रहे हैं.
आश्चर्य तो इन किसानों को यह भी है कि ऐसी ऋण माफी का
प्रमाण पत्र वितरित करने के लिए जिला मुख्यालयों पर समारोह आयोजित किये गये, जिसमें मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ
योगी की तारीफों के पुल बांधते हुए किसानों से किया गया वादा पूरा करने का श्रेय
लूटा.
प्रधानमंत्री का था चुनावी वादा
उत्तर प्रदेश का चुनावी रण जीतने के लिए प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने चुनाव सभाओं में वादा किया था कि राज्य में भाजपा की सरकार बनने
पर किसानों का पूरा कर्ज माफ किया जाएगा. उन्होंने यह भी वादा किया था कि भाजपा
सरकार अपनी पहली ही मंत्रिमंडल बैठक में किसानों की कर्ज माफी का फैसला करेगी.
उत्तर प्रदेश में भाजपा को प्रचण्ड बहुमत मिला..
महंत आदित्यनाथ योगी के नेटृत्त्व में बनी सरकार करीब एक
महीने तक अपनी कैबिनेट मीटिंग ही इस कारण नहीं कर पायी कि किसानों का फसली ऋण माफ
करने का फैसला लेना टेढ़ी खीर बन गया था.
अंतत: फैसला किया गया कि प्रदेश के लघु एवं सीमांत किसानों का एक लाख रु तक का
फसली ऋण माफ कर दिया जाएगा.
उस समय सरकार ने बताया था कि इस फैसले से उत्तर प्रदेश के
करीब सवा दो करोड़ किसानों पर बकाया 36,36,359 करोड़ रु का कर्ज माफ होगा. अब
लाभान्वित होने वाले किसानों की संख्या लगभग 66 लाख बतायी जा रही है.
ऋण मोचन समारोह और हास्यास्पद ऋण माफी
बहरहाल, योगी
सरकार ने बीती 17 अगस्त को व्यापक प्रचार करके अपनी’ ‘कृषि
ऋण मोचन योजना’ की शुरुआत की. उस दिन राजधानी लखनऊ में
आयोजित भव्य कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह
ने, जो लखनऊ से सांसद हैं, 50 किसानों
को अपने हाथ से ऋण मोचन प्रमाण पत्र वितरित किये. बताया गया कि उस दिन कुल 7574
किसानों को कर्ज मुक्त किया गया.
उसके बाद जिलों में आयोजित ऐसे ही कार्यक्रमों में प्रदेश
सरकार के मंत्रियों ने ऋण मोचन प्रमाण पत्र वितरित किये. लखनऊ के कार्यकम में तो
कोई शिकायत सामने नहीं आयी लेकिन जिलों से ऋण-मोचन के अजीबोगरीब किस्से सामने आने
लगे.
बिजनौर में, सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 22,000 किसानों को कर्ज-मुक्त किया गया. इनमें 880 किसान ऐसे थे जिन्हें 500 रु (पांच सौ रु मात्र) की कर्ज-माफी मिली. नौ
पैसे की कर्ज-माफी वाली बलिया देवी इन्हीं में शामिल हैं. उन्होंने ‘टाइम्स ऑफ इण्डिया’ के संवाददाता को बताया कि हमने
डेढ़ लाख रु का कर्ज लिया था और सब चुका भी दिया था. अब हमें बताया गया कि हमारा नौ
पैसे का कर्ज बकाया था जो माफ कर दिया गया है.
हमीरपुर के शिवपाल ने 93,000 रु का ऋण
लिया था. उनका मात्र 20, 271 रु माफ हुआ है. शांति देवी ने
एक लाख 55 हजार रु कर्ज लिया था. उन्हें मात्र 10.37 रु की माफी मिली. मुन्नी लाल के
40,000 रु के फसली कर्ज में मात्र 215 रु माफ हुआ है.
हमीरपुर के ऋण-मोचन समारोह में प्रमाण-पत्र बांटने वाले
मंत्री मन्नू कोरी से जब ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ के
संवाददाता ने इस बाबत पूछा तो पहले उन्होंने कहा कि प्रमाण पत्र में छपाई की गलती
होगी. बाद में ऐसी कई शिकायतें आने लगीं
तो उन्होंने कहा कि ऋण माफी नियमानुसार की गयी है. कोई गड़बडी हुई होगी तो दिखवा
लेंगे.
प्रचार से भ्रमित किसान
यह कैसा गड़बड़ घोटाला है? क्या किसानों को
ठगा जा रहा है? एक बैंक के अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की
शर्त पर बताया कि लघु और सीमांत किसानों पर एक लाख रु तक बकाया माफ करने की योजना
तो है लेकिन इसमें तरह-तरह की शर्तें हैं. पहली शर्त तो यह कि 31 मार्च,
2016 तक का ही बकाया माफ होगा.
बैंक अधिकारी के अनुसार चंद पैसे या कुछ रुपयों का कर्ज माफ
होने वाले किसान वे हैं जो कर्ज की किस्तें चुकाते रहे हैं. किसी ने डेढ़ लाख रु का
कर्ज लिया और एक लाख उनचास हजार रु चुकता कर दिये. अब चूंकि 31 मार्च 2016 को उस
पर मात्र एक हजार रु का कर्ज है तो उतना ही माफ किया गया. जबकि सरकारी प्रचार से
किसान यह समझे थे कि पूरे एक लाख रु की माफी मिलेगी.
नौ पैसे और चौरासी पैसे जैसी हास्यास्पद ऋण माफी के बारे
में एक जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड से ऋण लेते रहते हैं.
बैंक में खाता खोलने आदि में काफी लिखा-पढ़ी करनी पड़ती है. इसलिए ऋण चुकता कर देने के बावजूद चंद रु या कुछ पैसे का ऋण बकाया रख कर
खाता चालू रहने देते हैं ताकि अगली बार उसी खाते में फिर ऋण लिया जा सके. बैंक
अधिकारियों ने एक लाख रु तक के ऋण वाले किसानों की सूची में ऐसे बकायेदार किसानों
के नाम भी शामिल कर दिये.
किसानों में रोष
तकनीकी वजहें जो भी हों, हर जिले में ऐसे
किसानों की बड़ी संख्या है जिनकी ऋण-माफी की रकम पांच सौ रु से कम है. ऐसे किसान
सचमुच ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. कई तो ऋण-मोचन प्रमाण पत्र लेने भी नहीं गये. दूसरी
तरफ, उन किसानों की संख्या भी काफी कम है जिनका एक लाख के
करीब कर्ज माफ हुआ है. इससे किसानों में रोष है. उनका आरोप है कि सरकार ने ऋण माफी
वाले किसानों की संख्या बढ़ाने के लिए यह चालाकी की है. सिर्फ उन्हीं किसानों का
बचा-खुचा कर्ज माफ किया जो पहले से किस्तें अदा कर रहे थे.
स्वयं राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार पहले चरण में जिन 11 लाख 93 हजार किसानों का ऋण माफ किया गया
है उनमें एक रु से लेकर एक हजार रु तक की कर्ज माफी वाले किसानों की संख्या 34,262 है. इनमें भी 4814 किसानों को एक से एक सौ रु तक की कर्ज माफी मिली
है. एक हजार से दस हजार रु तक का कर्ज माफ होने वाले किसान 41, 690 हैं, जबकि 11 लाख 27 हजार किसानों का दस हजार रु से
ज्यादा का ऋण माफ हुआ है
विपक्षी नेताओं ने भी योगी सरकार पर कटाक्ष किये हैं कि
उसने कर्ज माफी के नाम पर किसानों के साथ भद्दा मजाक किया है.
सरकारी सूत्रों के अनुसार ऋण माफी का पहला चरण पूरा हो गया
है. इसमें उन्हीं किसानों का कर्ज माफ किया गया है जिनके बैंक खाते आधार नम्बर से
जुड़े थे. अगले चरण में पहले किसानों के बैंक खाते आधार नम्बर से जुड़वाने का कठिन
काम करवाना है. ऐसे किसानों की संख्या काफी ज्यादा है. उनके लिए कैम्प लगवाये जा
रहे हैं. (फर्स्टपोस्टट हिंदी, 13 सितम्बर, 2017)
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