बुजुर्ग भाजपा नेता, भौतिक विज्ञानी मुरली मनोहर जोशी, वरिष्ठ राजनेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री समेत 57 प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई को पत्र लिखकर अपील की है कि उत्तराखण्ड में चार धाम बारामासी रोड परियोजना के अंतर्गत पहाड़ काटकर सड़क को 12 मीटर चौड़ा करने की अनुमति देने के कोर्ट के आदेश की समीक्षा करके उसे वापस ले लें।
सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में चार धाम सड़क को 12 मीटर तक चौड़ी करने की अनुमति सरकार को इस तर्क के आधार पर दे दी थी कि सीमाओं की रक्षा की दृष्टि से यह आवश्यक है। इसके लिए साढ़े पांच मीटर पक्की सड़क को बारह मीटर चौड़ा करने के लिए पहाड़ काटे-फोड़े गए। अब भी यह क्रम जारी है।
पिछले दो-तीन महीनों में उत्तराखण्ड में भारी भूस्खलन के कारण कुछ गांव पूरे-पूरे दब गए, सैकड़ों मौतें हुई और सड़कें बह जाने से ग्रामीण और पर्यटक कई दिनों तक फंसे रहे थे। इसी को ध्यान में रखते हुए इन प्रमुख व्यक्तियों ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखा है।
पत्र में कहा गया है कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के उस परिपत्र को निरस्त किया जाए जिसमें पहाड़ काटकर बारह मीटर चौड़ी सड़क (जिसमें 10 मीटर दोहरी कोलतार रोड होगी) बनाई जा रही है। पत्र में कहा गया है कि इसकी बजाय सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर ही रखी जाए जो हर जरूरत के लिए पर्याप्त है। विशेषज्ञों की समितियों ने भी यही सिफारिश की थी।
पत्र में कहा गया है कि संवेदनशील और हरे-भरे उत्तरकाशी-गंगोत्री क्षेत्र में इतनी चौड़ी सड़क बनाने के लिए काटे जा रहे पहाड़ों के कारण ही आपदाएं आ रही हैं। अगर यह आदेश वापस नहीं लिया गया तो भागीरथी इको सेंस्टिव जोन में अपूरणीय क्षति होगी। यह देश की सबसे मूल्यवान गंगा नदी का उद्गम क्षेत्र है।
तर्क दिया गया है कि इस क्षेत्र में जन-जीवन की रक्षा, जीवकोपार्जनों के संसाधनों और देश की रक्षा जरूरतों के लिए भी पारिस्थितिकी की संवेदनशीलता को ध्यान में रखना अत्यावश्यक है।
14 दिसम्बर 2021 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तराखण्ड के संवेदनशील क्षेत्रों में तीन राजमार्गों को चौड़ा करने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। इसके तहत ऋषिकेश से माणा, ऋषिकेश से गंगोत्री और टनकपुर से पिथौरागढ़ राजमार्गों को बारामासी यात्रा के लिए बारह मीटर चौड़ा किया जा रहा है।
भूविज्ञानियों और पर्यावरण विशेषज्ञों ने इस पर कड़ी आपत्ति की और वैज्ञानिक तथ्य पेश किए थे। लेकिन सरकार ने चीन सीमा से लगी सीमा की सुरक्षा का तर्क दिया और सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया था। अब तक इस पर काफी काम हो चुका है। हाल में जो आपदाएं आईं, वह इसी क्षेत्र में सर्वाधिक हुईं और सड़क को इतना अधिक चौड़ा करने के लिए पहाड़ काटे जाने को इसका मुख्य कारण बताया गया है।
चार धाम ऑल वेदर रोड को हिमालय में 825 किमी तक बारह मीटर चौड़ा किया जाना है। सरकार ने इसे 53 छोटी-छोटी परियोजनाओं में बांट दिया ताकि पर्यावरण मूल्यांकन और अनुमति की औपचारिकताएं न करनी पड़ें। अब तक 629 किमी सड़क चौड़ी की जा चुकी है, जो इन दोनों भारी बारिश, भूस्खलनों और पहाड़ टूटने से जगह-जगह बाधित है या बहुत संकरी हो गई है।
इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जाता है।
पत्र में कहा गया है कि ये राजमार्ग पहले से ही मौजूद हैं और जितने चौड़े हैं, हर तरह की जरूरतों के लिए पर्याप्त हैं और वर्षों से लगभग सुरक्षित भी हैं। इसलिए अब कम से कम भागीरथी इको सेंस्टिव जोन को तो 12 मीटर चौड़ा करने से बख्श दिया जाए जो सबसे नाजुक इलाका है और जहां दो जगह क्रमश: तीन हजार और छह हजार देवदार के पेड़ काटे जाने हैं। पत्र लेखकों ने इसे आपराधिक कृत्य कहा है।
पत्र लिखने वालों में हिमालयविद व इतिहासकार शेखर पाठक, लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता रामचंद्र गुहा, आरएसएस के पूर्व सिद्धांतकार के एन गोविंदाचार्य, आदि भी शामिल हैं।
(पत्र का पूरा विवरण इस लिंक पर पढ़ा जा सकता है-
https://indianexpress.com/article/india/review-and-recall-judgment-on-char-dham-project-bjp-veteran-m-m-joshi-karan-singh-appeal-to-cji-10273096/
- न जो, 28 सितम्बर, 2025
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