Friday, October 06, 2017

टॉयलेट- एक विस्फोट कथा


डिस्कवरी चैनल वालों ने एक बार टॉयलेट में विस्फोट की सम्भावना को नकारते हुए कहा था कि ऐसा तभी हो सकता है जब वहां बारूद डाल कर तीली सुलगा दी जाए. डिस्कवरी वालों को लखनऊ आ कर जिला एवं सत्र न्यायालय का वह टॉयलेट देखना चाहिए जहां बुधवार को जोर का धमाका हुआ. पुलिस और फॉरेंसिक टीम को वहां किसी तरह का विस्फोटक पदार्थ नहीं मिला. जो कुछ वहां टूटा-फूटा और छितराया हुआ मिला  उसमें बीयर के कैन, नशे की शीशियां, नमकीन के पाउच, सिगरेट की डिब्बियां, वगैरह थे. विदेशी विशेषज्ञों को हैरानी होगी कि टॉयलेट में दारू की शीशियों  का क्या काम! क्या हिंदुस्तानी इतने सफाई-पसंद हो गये हैं कि नशा करने के बाद शीशियां यहां-वहां फेंकने की बजाय टॉयलेट में जमा कर आते हैं?

वे क्या जानें कि हिंदुस्तानी पियक्कड़ों की पसंदीदा जगह शौचालय है. बीड़ी-सिगरेट-खैनी के अलावा वह दारू पीने और नशे के इंजेक्शन लगाने की सबसे सुरक्षित जगह है. किसी को विश्वास न हो तो सुलभ शौचालय के रखवालों से पूछ लीजिए या हैरान-परेशान बीवियां तस्दीक कर देंगी कि बाथरूम जाने से पहले तो येअच्छे-भले होते हैं मगर वहां से निकलने पर जाने क्यों लखड़ाने लगते हैं. नशेड़ियों की बीवियां बाथरूम में सिस्टर्न का ढक्कन खोल कर देख पातीं तो रहस्य खुलता.

अदालत की टॉयलेट में नशे का सामान कैसे आया, यह रहस्य किसी से छुपा नहीं. कुछ कैदियों को नशा चाहिए और पुलिस आदत से लाचार. सो, अदालत परिसर का टॉयलेट सबसे सुरक्षित जगह. कैदी बार-बार टॉयलेट जाने की जिद करता है. पुलिस वाला इशारा समझ कर पहले खुद टॉयलेट जाता है या उसके इशारे पर कोई सूत्र. उसके बाहर आते ही कैदी की हाजत तेज हो जाती है. टॉयलेट की सिटकनी चढ़ाने के बाद वह सिस्टर्न का ढक्कन उठाता है. वहां रखा नशे का पसंदीदा सामान पा कर उसकी बांछें खिल जाती हैं. जब कैदी टॉयलेट से निकलता है तो पुलिस वाले को कोई हैरानी नहीं होती कि वह जेलर जैसी अकड़ क्यों दिखाने लगा.  कैदी ही क्यों, वहां से कई और लोग भी इसी तरह निकलते हों तो क्या आश्चर्य.

विशेषज्ञों का अंदाजा है कि सिस्टर्न के भीतर दारू और कफ सीरप की शीशियों में कोई गैस बनती रही. उसी से धमाका हो गया. अगर ऐसा है तो अपने घरों के टॉयलेट में निश्चिंत होकर दारू गटकने वालों को सावधान हो जाना चाहिए. उनकी त्वरित बुद्धि सामान छुपाने के लिए दूसरी सुरक्षित जगह ढूंढ ही लेगी.

उत्सुकतावश गूगुल की शरण जाने पर हमें टॉयलेट में विस्फोट होने की कई खबरें और मनोरंजक किस्से मिले. चीन से लेकर यूरोप और अमेरिका में  ऐसी कई वारदात हो चुकी हैं. उनमें मौत भी हुई और कई कमर से नीचे घायल मिले. कारण कहीं पानी की पाइपलाइन में हवा का भारी दवाब था तो कहीं चोक सीवर से उमड़ी गैस ने टॉयलेट की सीट ही उड़ा दी. लेकिन सिस्टर्न में विस्फोट कहीं नहीं हुआ, न ही कहीं दारू या कफ सीरप की शीशियों के टुकड़े बरामद हुए. यह निखालिस हिंदुस्तानी नवाचार है!

टॉयलेट आजकल तरह-तरह से चर्चा में है. मोदी जी ने टॉयलेट-अभियान क्या छेड़ा, उस पर फिल्म भी बन गयी. कम हो रहा कहने को लखनऊ के एक टॉयलेट में धमाका भी हो गया. खुले में शौच जाने वालों को नया बहाना मिल गया- कहीं कुण्डी बंद करते ही धमाका हो गया तो! महानायक अब उन्हें क्या गा कर समझाएंगे

(सिटी तमाशा, नभाटा, 07 अक्टूबर 2017) 

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