सिटी तमाशा
नवीन जोशी
चुनाव नतीजे की दूसरी सुबह एक परिचित का फोन आया- ‘भाई साहब, कौन मुख्यमंत्री बन
रहा है?’ हमने कहा- ‘पता नहीं’. वे बोले- ‘ कोई नया नेता सी एम बन गया तो थोड़ी मुश्किल होगी. आप तो जानते हैं.’ तब हमें ध्यान आया कि वे कई तरह के धंधे करते हैं. सत्ता की
मदद की उन्हें हमेशा चाहिए.
कई तरह के लोग हैं जो जानना चाहते हैं कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा, कौन-कौन मंत्री होगा, किसे
कौन सा विभाग मिलेगा, वगैरह-वगैरह. सता के
गलियारों में घूमने वाले, नाजायज को जायज करने
वाले, सम्पर्क बनाने और उसे भुनाने
वाले, कितनी ही तरह के लोग यही जानने
में अपनी ऊर्जा खर्च कर रहे हैं, वे इन दिनों बहुत
व्यस्त हैं. ठेकेदार, सरकार को सामान की
सप्लाई करने वाले, कॉर्पोरेट जगत के
उच्चाधिकारी, आदि-आदि अति सक्रिय
हैं. पहले से सूंघ-सांघ कर गोटियां बिछा लेनी हैं. कहीं दूसरा बाजी न मार ले.
आईएएस अफसरों का एक खेमा सपा सरकार जाने से उदास है तो दूसरा खेमा नई सरकार से
उम्मीदें बांधे है. कुछ अधिकारी है जो निवर्तमान सी एम के करीबी थे या नेता जी के खास थे, वे मान कर चल रहे
हैं कि उन्हें तो ‘सूखी’ पोस्टिंग ही मिलनी है. उनके अच्छे दिन गए. इनमें चंद ऐसे
हैं जो सरकार बदलने के साथ निष्ठा बदलने में माहिर हैं. कोई भी पार्टी सत्ता में
आए, कोई सी एम हो, वे सत्ता-शीर्ष के नजदीक बने रहने का जादू जानते हैं. वे
अफसर जो सपा सरकार में उपेक्षित थे, सूखे पदों पर दिन काट
रहे थे, उनके यहां वसंत आया
है. इनमें भी कुछ नए मुख्यमंत्री की आहट ले रहे हैं, क्योंकि
तरल पदों के भी कई स्तर होते हैं. वर्षों बाद दिन फिरे हैं तो कोई कसर क्यों रह
जाए.
सचिवालय में एक बड़ा वर्ग है, अनु सचिवों, उप सचिवों, समीक्षा अधिकारियों, आदि का जो 11 मार्च की शाम से ही सम्भावित मंत्रियों के
इर्द-गिर्द घूम रहे हैं. कुछ पुराने रिश्तों की याद दिला रहे हैं तो कोई किसी खास वक्त की नजदीकी. इन सबको नए मंत्रियों के साथ ‘अटैच’ होने की लालसा है.
मंत्रियों के साथ किसी भी रूप में जुड़ने के बड़े मजे हैं. कोई ओएसडी बनना चाहता है.
इसके लिए सचिवालय या किसी सरकारी विभाग में होना भी जरूरी नहीं. बस, मंत्री जी से अच्छे सम्पर्क होने चाहिए और मंत्री को आपकी ‘क्षमता’ का पता होना चाहिए.
सभी मंत्रियों को अपना भरोसेमंद स्टाफ और ओएसडी चाहिए. वे किसी को भी तैनात कर
सकते हैं. सी एम सचिवालय में तैनाती मिल गई तो क्या बात! उसके लिए ऐसे प्रमुख सचिव
का विश्वासपात्र होना जरूरी है जो सी एम का पसंदीदा हो. इसके लिए जानना जरूरी है
कि सी एम कौन बन रहा है.
और तो और, सरकारी गाड़ियों के
ड्राइवर और पुलिस महकमे के अंगरक्षक तक जुगाड़ में लगे हैं. मंत्री के साथ चलने का
रुतबा तो है ही, सत्ता की हनक उनके
हिस्से भी आ जाती है.
कुछ नेता मुख्यमंत्री की कतार में हैं, कुछ
विधायक मंत्री बनने की जोड़-तोड़ में और बहुत सारे लोग नई सरकार से भांति-भांति के लाभ
लेने की जुगत बैठाने में लगे हैं. आम वोटर ही है जो मतदान करने के बाद से बिल्कुल
बेचारा हो गया है और टुकुर-टुकुर तमाशा देख रहा है. (नभाटा, 18 मार्च, 2017)
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