Wednesday, March 01, 2017

बाल न बांका हुई सकै गर नाम प्रजापति होय!

नवीन जोशी
नाम गायत्री प्रजापति, राज्य यू पी और ठिकाना समाजवादी पार्टी हो तो क्या कहने. गायत्री प्रजापति आजकल यूपी की राजनीति और प्रशासन में छाए हुए हैं. आजकल कहना उनके साथ अन्याय करना होगा. वे तो लम्बे समय से सत्ता के गलियारों और परिवार के बरामदों से लेकर स्वर्णिम खदानों तक छाए हुए हैं. हाँ, आजकल उनकी पूछ कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है. पुलिस उनके दर्शन को तरस रही है. वे हैं कि सामने होकर भी पुलिस को दर्शन नहीं देते.
दरअसल, मध्य फरवरी में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि गायत्री प्रजापति का स्थान कारागार होना चाहिए. कारागार को धन्य करने के लिए पुलिस प्रजापति की तलाश में है. वह उनके सरकारी बंगले में जाती है तो सरकारी सुरक्षा गारद बताती है कि वे महोदय वहां नहीं हैं. विधायक निवास वाले अंगरक्षक कहते हैं कि मंत्री जी अपने चुनाव क्षेत्र में हैं. चुनाव क्षेत्र भी उनका ठहरा जगप्रसिद्ध अमेठी. अमेठी के गदगद कार्यकर्ता पुलिस को बताते हैं कि गायत्री जी लखनऊ चले गए. लखनऊ में वे अक्सर एक खास ठिकाने पर विराजमान पाए जाते हैं. उनकी एक बहुप्रसारित फोटो है जिसमें वे मुलायम के चरण दोनों हाथों से पकड़े हुए कैमरे की तरफ मुस्करा रहे हैं. ये चरण उन्हें पार्टी से परिवार तक शक्तिशाली बनाते रहे. अब पुलिस इस ठिकाने तो जा नहीं सकती.
बात इतनी सी है कि एक महिला ने आरोप लगाया कि प्रजापति ने उनके साथ रेप किया. उनकी नाबालिग बेटी से भी रेप की कोशिश की. उनके विरुद्ध मुकदमा लिख लिया जाता तो जाता तो वे प्रजापति कैसे होते. अंतत: सुप्रीम कोर्ट को उनका स्मरण करना पड़ा. मुकदमा लिखा गया. इस सबके बावजूद प्रजापति जी मंत्री पद पर शोभायमान है. मुख्यमंत्री महोदय उन्हें मंत्रिमण्डल से निष्कासित करने की सोच भी नहीं सकते. एक बार जोश में उन्हें बर्खास्त करके देख लिया था, फौरन वापस लेना पड़ा. मुलायम के चरणों में बैठ कर मुस्कराते हुए फोटो तभी का है. पार्टी में विवाद के दिनों भी वे शिवपाल के साथ नेता जी के इर्द-गिर्द डटे रहे थे. निष्कासन और पुन: शपथ ग्रहण के बाद वे अखिलेश के पैर छूना भी नहीं भूलते.
हत्या जैसे संगीन आरोपों वाले मुख्तार अंसारी, कई बर्खास्त मंत्री और टिकट वंचित सपा नेता प्रजापति से रश्क करते हैं. अखिलेश ने कभी डी पी यादव को दूर किया तो कभी चचा शिवपाल की सिफारिश के बावजूद मुख्तार अंसारी और उनकी पार्टी को दुत्कार दिया. मगर रेप के आरोपी प्रजापति अब भी मंत्री पद पर आसीन हैं, सपा की शान बढ़ा रहे हैं और अमेठी से पार्टी के सुयोग्य प्रत्याशी  हैं. सपा के नए सुप्रीमो और लोकप्रिय मुख्यमंत्री स्वयं उनके प्रचार के लिए गए.
अमेठी की चुनावी जन सभा में अखिलेश के पहुंचने तक प्रजापति मंच से अपने सुकर्मों का बखान कर रहे थे. भावुक होकर रो रहे थे कि रेप का आरोप और कारागार भेजने का निर्णय उनके साथ कितना बड़ा अन्याय है. अखिलेश जब सभा मंच पर आए तो प्रजापति का तेज सहन नहीं कर सके. मुख्यमंत्री के भाषण तक प्रदीप्त-मुख प्रजापति मंच के सामने बैठे रहे.
प्रजापति के लिए गम्भीर आरोप कोई नए तमगे नहीं हैं. उनके खिलाफ संगीन आरोपों की मोटी फाइल प्रदेश के पूर्व लोकायुक्त ने एकाधिक बार सरकार के पास कार्रवाई के लिए भेजी थी. लोकायुक्त ने अपनी जांच में आरोप सही पाए थे. सरकार उस फाइल को अब तक मजबूत अल्मारी में सुरक्षित रखे है. इस प्रसंग के कुछ रोचक क्षेपक भी हैं.
कोई देढ़-दो वर्ष पहले सोशल साइट्स पर एक ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें एक सख्श फोन पर अमिताभ ठाकुर को धमकियां दे रहा है कि अपनी हरकतें बंद कर दो वर्ना बुरा हाल करुंगा. पुलिस महानिरीक्षक अमिताभ का आरोप था कि यह धमकी मुलायम सिंह यादव ने दी. आवाज मुलायम की जैसी थी. पृष्ठभूमि यह कि अमिताभ ठाकुर और उनकी एक्टिविस्ट पत्नी नूतन गायत्री प्रजापति के अवैध धंधों की पड़ताल कर रहे थे. अमिताभ ने इस पर मुलायम के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाई. चंद रोज बाद अमिताभ के खिलाफ एक महिला ने रेप का मुकदमा लिखा दिया. अमिताभ के खिलाफ जांच अब तक चल रही है जबकि गायत्री प्रजापति शफ्फाक खादी में मंत्री रहते हुए ठसके से चुनाव लड़ रहे हैं.
गायत्री प्रजापति होने का महत्व इस तथ्य से भी समझा जा सकता है कि वर्तमान सपा सरकार में उन्होंने चार बार मंत्री पद की शपथ ली. पहली बार राज्यमंत्री पद की, फिर स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री की, उसके बाद कैबिनेट मंत्री की और बर्खास्त होने के बाद पुन: कैबिनेट मंत्री की.
सपा के सर्वेसर्वा रहे मुलायम और उनके प्रभवशाली भ्राता आज हाशिए पर हैं लेकिन उनके शरणागत गायत्री प्रजापति का बाल बांका न हुआ.
(http://www.bbc.com/hindi/india-39130767)




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