Sunday, April 23, 2017

सपा के ‘भ्रष्टाचार’ से योगी सरकार की छवि चमकाने का प्रयोग


उत्तर प्रदेश के आला अफसर जिन परियोजनाओं को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ड्रीम प्रॉजेक्ट कहते थे, चुनाव से पहले जिन्हें पूरा हुआ दिखाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया गया, वही परियोजनाएं अब उन अफसरों के लिए फंदा बन रही हैं. अपने जिन विकास कार्यों को अनोखी उपलब्धियां प्रचारित करके अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की सत्ता में दोबारा आने की उम्मीद बांधे थे, उन्हें आज योगी सरकार के मंत्री भ्रष्टाचार के कीर्तिमान साबित करने में पसीना बहा रहे हैं.
यूरोप के शहरों को नजीर बना कर राजधानी लखनऊ के विभिन्न इलाकों में अखिलेश सरकार ने जो सायकिल पथ बनाये थे, योगी सरकार उन्हें तोड़ने की तैयारी कर रही है. गलत भी नहीं है यह कहना कि अनेक जगह ये सायकिल पथ अनावश्यक और यातायात के लिए बाधा बन गये हैं. इस्तेमाल भी कोई नहीं करता.
नयी दिल्ली के इण्डिया इण्टरनेशनल सेण्टर की तर्ज पर लखनऊ में बना जे पी इण्टरनेशनल सेण्टर, साबरमती रिवर फ्रण्ट से प्रेरित गोमती रिवर फ्रण्ट डेवलपमेण्ट प्रॉजेक्ट, लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे, आई टी सिटी जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाएं अखिलेश सरकार की विकास-कथा का शीर्षक थीं. लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे के लिए अखिलेश चुनाव सभाओं में कहते थे कि यदि प्रधानमंत्री मोदी इस सड़क से गुजर जाएं तो वे भी समाजवादी पार्टी को वोट देने को मजबूर हो जाएंगे.
वोट तो उन्हें शाबाशी देने वालों ने भी नहीं दिया मगर मोदी जी की यूपी टीम अखिलेश के ड्रीम प्रॉजेक्ट्स की नींव से भ्रष्टाचार के बोल्डर खोद निकालने में जुट गयी है. एक-एक मद में हुए खर्च की जांच हो रही है. फाइलें, टेण्डर, भुगतान, वगैरह की पड़ताल हो रही है. बेईमानी और मनमानी के सबूत जुटाने के लिए मंत्री सीढ़ियों से  से पन्द्रह मंजिल तक चढ़ जाने का करिश्मा दिखा रहे हैं.
इस तरह भ्रष्टाचार-मुक्त पारदर्शी सरकार की छवि भी बन जा रही है.
नयी सरकारें पुरानी सरकार के काम-काज में मीन-मेख निकाला करती रही हैं. मामला विरोधी दल की सरकार का हो तो उपलब्धियां खारिज की जाती रही हैं. चुनाव प्रचार में वादे किये जाते हैं कि सत्ता में आने पर इस सरकार के सभी कार्यों की जांच करायी जाएगी. लेकिन आम तौर पर अमल नहीं किया जाता.
सन 2102 के चुनाव प्रचार में अखिलेश यादव हर सभा में ऐलान करते थे कि सत्ता में आने पर समाजवादी सरकार मायावती द्वारा लगायी गयीं पत्थर की मूर्तियों को ध्वस्त करा देगी. पत्थरों पर होने वाले खर्च की जांच कराएंगे.
सत्ता में आने पर उन्होंने एक भी मूर्ति को हाथ तक नहीं लगने दिया. जांच बैठाने की बात भी वे भूले रहे. इस पर आक्रोशित उनके एक अति-उत्साही समर्थक ने लखनऊ में मायावती की एक मूर्ति पर हथौड़े चला दिये थे. अखिलेश सरकार ने उस कार्यकर्ता से न केवल पल्ला झाड़ लिया, बल्कि रातोंरात भग्न मूर्ति को मायावती की नयी मूर्ति से ससम्मान बदल दिया था.
शीशे के घरों में रहने वाले दूसरे के घरों पर पत्थर नहीं फेंकते, राजनीति में बराबर सम्मानित इस सिद्धांत का योगी सरकार उल्लंघन कर रही है तो निश्चय ही बड़े कारण होंगे.
यूपी विजय के लिए मोदी और अमित शाह ने सारी ताकत झौंक दी थी तो इसीलिए कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है. 2019 के संग्राम के लिए यूपी जीतना जरूरी था. वह मोर्चा फतह हुआ. अब चिड़िया की आंख की तरह सिर्फ 2019 दिखायी दे रहा है.
महंत आदित्यनाथ योगी को मुख्यमंत्री बनाना उसी लक्ष्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है. अगर उसी रणनीति में शामिल है पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार को महाभ्रष्ट साबित करना, तो क्या आश्चर्य.
अपनी कमीज की चमकदार सफेदी तभी उजागर होगी जब दूसरे की कमीज को बहुत मैली दिखाया जा सके. यूपी को बदलने का नारा है. भ्रष्टाचार-मुक्त, पारदर्शी, वास्तविक विकास लाने वाली सरकार का चेहरा गढ़ना है. नये मानक बनाने हैं तो पुराने ध्वस्त करने होंगे.
गायत्री प्रसाद जैसे अखिलेश के मंत्रियों ने और यादव सिंह जैसे अखिलेश के इंजीनियरों ने तथा अनिल यादव जैसे अखिलेश के अफसरों ने मौके भी कम नहीं दिये हैं. योगी सरकार को सबूतों के लिए ज्यादा मेहनत करनी नहीं पड़ेगी.
2019 में भाजपा को हराने के लिए महागठबंधन बनाने की कवायद विपक्षी दल करने लगे हैं. उसका मुकाबला भी तो करना है. बन पड़ा तो ऐसे गठबंधन को महाभ्रष्टों का जमावड़ा सिद्ध करना होगा. जनता को बताना होगा कि ईमानदारी से काम करने वाली सरकार को उखाड़ने के लिए सारे बेईमान एक हो गये हैं.  ताकतवर क्षेत्रीय क्षत्रपों का जातीय, पक्षपातपूर्ण और दागदार चेहराजनता के सामने रखना है.
दिल्ली में पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी है. यूपी की सत्ता पंद्रह साल बाद मिली है. इसका श्रेय भाजपा के नये, अपेक्षाकृत युवा नेतृत्व को जाता है. इस अवसर दीर्घावधि का बनाना है. यूपी ही नहीं, देश को बदलना है. 70 साल की बदहाली दुरुस्त करनी है. भाजपा सबसे अलग है, यह दिखा देना है.
मोदी से लेकर योगी तक आजकल इसी मिशन में लगे हैं. यूपी इसकी नयी प्रयोगशाला है. अपने ही कारणों से कांग्रेस और वाम दलों के पराभव के कारण भारतीय मध्य वर्ग को यह प्रयोग खूब भा रहा है, जिसके नायक नरेन्द्र मोदी हैं
-नवीन जोशी
(firstpost hindi, april 21, 2017) 


 





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