आजाद हवा में सांस लेने और
अपने सपनों के आसमान में उड़ने का हौसला दिखा रही लड़कियों के लिए यह बहुत खतरनाक
समय भी है. उनकी छलांग पर तरह-तरह के भेड़िए घात लगाए हुए हैं. आए दिन रौंगटे खड़े करने
वाली वारदात हो रही हैं. क्या पता जानकीपुरम वाली लड़की महिला हेल्पलाइन, 1090 के दफ्तर जाना चाहती
थी या किसी असमंजस में कॉलेज जाने की बजाय उसने सड़कों पर भटकने की ठानी हो या किसी ‘ऑनलाइन दोस्त’ से मिलने निकली हो. कोई 18 वर्ष की उस लड़की के
दिमाग में क्या-क्या चल रहा था, कौन जाने; लेकिन वह नहीं जानती होगी कि उसकी भटकन या आजादी पर
कैसे-कैसे भेड़िए घात लगाए बैठे होते हैं.
1090 की बहुप्रचारित सेवा
के बावजूद पुलिस महिलाओं की शिकायत को पहले टालने की ही कोशिश करती है. इस मामले
में भी ऐसा हुआ. थाने में लड़की के घरवालों से कहा गया कि किसी के साथ चली गई होगी, आ जाएगी. यह अज़ब रवैया है.
मुख्यमंत्री भी मानते हैं कि पुलिस समय पर घटनास्थल पर नहीं पहुंचती. पुलिस की
तत्परता कई पीड़ितों को बचा सकती है लेकिन पुलिस ऐसे मामले भी गम्भीरता से लेती
नहीं.
लड़कियों के साथ हो
रहे ऐसे अपराध पुलिस की अक्षमता के अलावा ‘ऑनलाइन खतरों’ पर भी रोशनी डालते हैं. खेद
है कि इस पर हमारे यहां जरूरी और पर्याप्त चर्चा नहीं होती. एकांतिक इस्तेमाल के कम्प्यूटर
और मोबाइल या इण्टरनेट को सुरक्षित मानना बहुत बड़ी भूल है. चूंकि यह माध्यम पूरी
तरह व्यक्ति संचालित है इसलिए यहां भी वे सारे खतरे मौजूद हैं जो हमारी भौतिक
दुनिया में हैं. बल्कि, इंटरनेट की आभासी दुनिया में बहुत से खतरे चालाक लोमड़ी की
तरह हम पर लाड़ लुटाते हुए लेकिन वास्तव में दांत गड़ाते हुए उपस्थित हैं. अनेक बार
तो इनके पीड़ित को शिकार हो जाने कई दिन बाद तक पता नहीं चलता कि उसके साथ हो क्या
गया.
लड़कियों के लिए यहां नए-नए
जाल हैं. आए दिन खबरें आती हैं कि किसी लड़की को दोस्ती के झांसे में कैसे फंसाया
गया, कि चैटिंग में प्यार और फिर भाग कर की गई शादी वास्तव में शारीरिक धंधे का
कैसा दलदल साबित हुई, वगैरह-वगैरह. इसलिए जरूरी है कि सोशल साइटों और चैटिंग ऐप
पर कभी भी सतर्कता न छोड़ी जाए. यहां तो पुरुष के बदनीयती भरे स्पर्श की पहचान भी काम नहीं
आती. लड़कियों को दोस्ती करने, प्यार जताने और ‘फन’ के प्रस्तावों को जांचना और दृढ़ता से ‘न’ कहना सीखना होगा. आजादी और
खुलेपन का अर्थ हर प्रस्ताव को ‘हां’ कहना नहीं है, जबकि हर तरफ भेड़िए मौजूद हों. बच्चों को महंगे मोबाइल और
वाहन देने वाले अभिभावक और स्कूल-कॉलेज भी बच्चों, खासकर लड़कियों को बताएं कि व्यावहारिक रूप से समझदार
होना क्या होता है. इण्टरनेट सुरक्षा के पाठ आज लड़के-लड़कियों के ही लिए नहीं बल्कि
वयस्कों के लिए भी बहुत ज़रूरी हैं.
‘तुम दुनिया की सबसे सुंदर लड़की हो’, ‘तुम बड़ी खास हो’, ‘तुम्हारी और मेरी रुचियां बिल्कुल एक सी हैं’ जैसे जुमले ऑनलाइन चैटिंग
में बहुप्रयुक्त हैं और अबोध लड़कियों को फुसला देने को काफी हैं. यहां बेहद खतरनाक
लोग खूबसूरत शब्दों और आकर्षक तस्वीरों के साथ मौजूद हैं. इसी तरह फंस कर दैहिक और
मानसिक शोषण का शिकार हुई अमेरिकी लड़की अलीशिया ने अब इस जाल से बच्चों को बचाना
अपने जीवन का मकसद बना लिया है. अमेरिका में उसके नाम से कानून भी बन गया है.
इण्टरनेट पर यह कहानी मौजूद है. इसे पढ़ें और बच्चों को जरूर पढ़ाएं. यह ऐहतियात
बेहद जरूरी है. (नभाटा, फरवरी 19, 2016)
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