Friday, June 30, 2017

राजनीति की बेशर्मी और कलंकित अभयदान


क्या यह बहुत स्तब्ध और क्षुब्ध करने वाली बात नहीं है कि मुलायम सिंह यादव ने गायत्री प्रजापति को निरपराध घोषित करते हुए जेल में उन्हें हो रही तकलीफों पर आंसू बहाये हैं? यहां तक कह दिया कि गायत्री के साथ जेल में आतंकवादियों की तरह सलूक किया जा रहा है और मैं उनके लिए डीजीपी एवं मुख्यमंत्री से मिलूंगा. वहां बात नहीं बनी तो प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से भी मुलाकात करूंगा. गायत्री प्रजापति गैंग रेप के आरोप में जेल में बंद हैं. उनकी गिरफ्तारी पिछली फरवरी में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुई थी. वर्ना कई संगीन आरोपों के बावजूद समाजवादी पार्टी के शासन में गायत्री को कोई छू नहीं सकता था. सपा दोबारा सत्ता में आ जाती तो गायत्री आज भी मुलायम के चरणों में बैठ कर मनचाहा कर रहे होते.  
क्या मुलायम सिंह ने तनिक भी नहीं सोचा होगा कि वे किस व्यक्ति को पाक-साफ घोषित कर रहे हैं और वे जो कह रहे हैं उसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा? जब वे गैंग रेप के एक आरोपी के बचाव में उतर रहे हैं, उसे जेल में देख कर द्रवित हो रहे हैं, तो क्या यह संदेश भी नहीं दे रहे कि राजनैतिक संरक्षण में बलात्कार के आरोपी का भी कुछ नहीं बिगड़ सकता? क्या वे गायत्री जैसे आरोपियों का मनोबल नहीं बढ़ा रहे? इस बयान के बाद खुद उनके बारे में जनता क्या सोच रही होगी? और सोचिए, कि उनकी ख्वाहिश देश का प्रधानमंत्री बनने की रही है.
दु:ख है कि आज के नेता इस तरह नहीं सोचते और मुलायम तो बिल्कुल भी नहीं. पहले भी वे राजनीति में अपराधी चरित्र के लोगों को लाते और उनका बचाव करते रहे हैं. नेताओं पर दर्ज संगीन आपराधिक मुकदमों को वे राजनीतिक दुर्भावना करार देते हैं लेकिन बलात्कार के आरोपी का इस तरह बचाव अत्यन्त दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है. गौर किया जाए कि सुप्रीम कोर्ट को बीती फरवरी में यह कहना पड़ा था कि गायत्री प्रजापति का स्थान जेल में होना चाहिए.
तब समाजवादी पार्टी का राज था और गायत्री की तूती बोलती थी. उन पर मुकदमा लिखना तो दूर, खुद पुलिस उनकी मदद करती फिर रही थी. शिकायतकर्ता मां बेटी को पुलिस अफसर ही धमका रहे थे और जांच भटकाने में लगे थे. सुप्रीम कोर्ट के दखल से मुकदमा लिखा गया और गिरफ्तारी हुई, हालांकि चुनाव तक वे अपने क्षेत्र में खुले आम घूमते रहे थे. लोकायुक्त की जांच में गायत्री के खिलाफ बड़े घपले के सबूत मिले थे मगर उस पर कोई कार्रवाई कैसे होती, जबकि रेप का मुकदमा लिखे जाने के बावजूद प्रजापति मंत्री पद पर शोभायमान रहे. मुलायम के खिलाफ आईजी अमिताभ ठाकुर को फोन पर धमकाने वाला मामला भी गायत्री से जुड़ा है. अमिताभ और उनकी पत्नी नूतन ने गायत्री के कई घोटालों की पड़ताल की थी.  

तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश ने एक बार जोश में गायत्री को मंत्रिमण्डल से बर्खास्त कर दिया था. पिता के फरमान से फौरन वापस लेना पड़ा. तब गायत्री ने मुलायम के चरणों में बैठ कर हंसते हुए फोटो खिंचवाया था. अब वे जेल में उन चरणों पर रो दिये होंगे. वह हंसी हमारी आज की राजनीति की बेशर्मी है. यह रोना कलंकित अभयदान की याचना है. महिलाओं का अपमान है. अफसोस, अपने को लोहिया का शिष्य कहने वाले मुलायम यह नहीं देख पाते.  (सिटी तमाशा, नभाटा, 30 जून, 2017) 

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