Friday, April 12, 2019

यूपी पुलिस की शाबाशी के बढ़ते किस्से



उत्तर प्रदेश पुलिस अपने नेक कामों के लिए कम, बदी के लिए ज्यादा चर्चा में रहती है. हाल के दिनों में उसके हिस्से बदनामियाँ कुछ ज्यादा ही आ रही हैं. किसी राहगीर या ट्रक वालों से वसूली या थानों में छोटे-छोटे कामों के लिए रिश्वत लेने जैसी रोजमर्रा की शिकायतें अब बदनामियों में नहीं गिनी जातीं. इधर कुछ बड़ी ख्याति वाले काम उसने किये हैं, जिनमें डीएसपी एवं इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी सीधे-सीधे शामिल रहे हैं, जिन्हें निलम्बित कर गिरफ्तार भी किया गया है. एक एसएसपी को भी मिलीभगत के लिए निलम्बित किया गया है. इससे ऊपर वालों की बात और ऊपर वाले जानें.

कुख्यात अपराधी बदन सिंह बद्दो वाला मामला तो फिल्मी और बड़ा मजेदार है. सात पुलिस कर्मियों की टीम बद्दो को फतेहगढ़ जेल से सुनवाई के लिए गाजियाबाद कोर्ट ले गयी. वापसी में बद्दो ने पुलिस वालों को मेरठ के एक होटल में दारू-पार्टी का न्योता दिया. एक इंस्पेक्टर समेत सातों पुलिस वाले बद्दो और उसके दोस्तों के साथ दावत उड़ाते रहे और बद्दो फरार हो गया. दूसरे दिन जब बड़े अफसरों को खबर लगी और सातों पुलिस वाले पकड़े गये, तब भी वे होश में नहीं थे. बेचारे!

लखनऊ  पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि गोसांईगंज इलाके में एक कारोबारी के घर अवैध रकम रखी है. उच्चाधिकारियों  को सूचना देकर विधिवत छापा डालने की बजाय एक दरोगा और एक सब-इंस्पेक्टर खुद वहाँ पहुँचे और कारोबारी को धमका कर एक करोड़ पचासी लाख रु लेकर खुद फरार हो गये. बाद में कारोबारी की शिकायत पर दोनों पकड़े गये और जेल भेजे गये.

बाराबंकी में क्राइम ब्रांच के एक दरोगा द्वारा एक कम्पनी के अफसरों से 65 लाख रु वसूलने का मामला पिछले सप्ताह खूब चर्चित हुआ. मामले की जाँच हुई तो पाया गया कि इसमं जिले के एसएसपी की भूमिका भी है. दरोगा तो पकड़ा ही गया, एसएसपी को भी निलम्बित किया गया है. रोचक तथ्य यह भी है कि जब मामला खुलने लगा तो दरोगा को ईमानदार दिखने की याद आयी या दिलाई गयी. उसने पूरी ईमानदारी से 65 लाख रु दो किश्तों में वापस किये और वापसी की रसीद भी लिखवाई.

एक और ताजा मामला लखनऊ हवाई अड्डे पर दिल्ली के दो व्यवसायी भाइयों से 34 लाख रु की विदेशी मुद्रा लूटने का है. इसमें एसटीएफ के डिप्टी एसपी और दो इंस्पेक्टरों को निलम्बित किया गया है. उनके खिलाफ मुकदमा भी लिखाया गया है. पाया गया कि इन्होंने आतंकवाद निरोधक दस्ते का अफसर बताकर विदेशी मुद्रा हड़प ली.

बिल्कुल ताजा ये घटनाएँ यूपी पुलिस का जो चेहरा सामने लाती हैं, वह बहुत चिंताजनक है. यह पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार और अपराधियों से मिलीभगत के सामान्य विकारों से कहीं बड़ी और गहरी सड़न का संकेत है. पूरी पुलिस एस्कॉर्ट पार्टी एक खूंखार अपराधी की दारू की दावत में बेहोश हो जाए, अवैध वसूली या रिश्वत के मामले में एक एसएसपी को निलम्बित करना पड़े और स्पेशल टास्क फोर्स का डिप्टी एसपी एटीएस का अधिकारी बनकर विदेशी मुद्रा हड़प जाए तो मानना होगा कि हमारा पुलिस तंत्र का चरित्र ही आपराधिक हो चुका है.

ऐसे में कैसे भरोसा हो कि वह अपराध और अपराधियों पर नियंत्रण कर सकती है, आतंकवादियों की पहचान और धर-पकड़ कर सकती है, सामान्य नागरिक को सुरक्षा दे सकती है? खाकी वर्दी खुद गुनाह करने में अपराधियों के कान काटने लगेगी तो क्या होगा?

राहत और आशा की बात इतनी अवश्य है कि ये मामले खुले, जांच हुई और अपराध में ल्पित पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई है. उन्हें बचाने की बजाय सख्त सजा दिलाने में पुलिस विभाग सक्रिय हो तो उम्मीद बढ़े.  

(सिटी तमाशा, नभाट, 13 अप्रैल, 2019)   
      

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