भाजपा के आक्रामक अभियान का जवाब बन
पाएगा कांग्रेसी घोषणा-पत्र?
नवीन जोशी
कांग्रेस ने आम चुनाव-2019 के लिए
मंगलवार को सबसे पहले अपना घोषणा पत्र जारी करके हिंदुत्व,
राष्ट्रवाद और हिंदू-मुसलमान-पाकिस्तान के भाजपाई आक्रामक अभियान को
गरीब, किसान, महिला, बेरोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य
जैसे ज्वलंत मुद्दों के विमर्श में बदलने की कोशिश की है.
अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा और नरेंद्र
मोदी पर व्यंग्य-प्रहार करते हुए राहुल गांधी ने वादा किया सरकार में आने पर वे
अपने सभी वादे निभाएंगे और भारत की जनता को
‘काम, दाम, शान, सुशासन, स्वाभिमान, और सम्मान’ दिलाएंगे.
‘हम निभाएंगे’ शीर्षक से जारी व्यापक घोषणापत्र ऐसे समय जारी हुआ है जब प्रधानमनत्री
नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के सभी स्टार प्रचारक अपनी चुनाव सभाओं में हिंदू-मुसलमान,
पाकिस्तान और भारतीय सेना की बहादुरी के मुद्दे उठाकर भावनात्मक
ज्वार लाने में लगे हैं. मोदी अपनी सभाओं में कांग्रेस को घोर-हिंदू विरोधी साबित
करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस का घोषणापत्र इन बातों को पीछे
धकेल कर देश की प्रमुख समस्याओं को फोकस में लाता है.
घोषणापत्र के प्रमुख मुद्दों को इस तरह सूचीबद्ध किया जा सकता
है-
1- देश के 20 फीसदी अत्यंत गरीब
परिवारों को सालाना 72 हजार रु की न्यूनतम आय सुनिश्चित करना. ‘न्याय’ योजना के नाम से इसकी घोषणा पार्टी अध्यक्ष राहुल
गांधी पहले ही कर चुके हैं. यह वादा आजकल चर्चा में है. यह इस चुनाव में कांग्रेस
का प्रमुख प्रचार-बिंदु बनने जा रहा है. इसे मोदी सरकार की लुभावनी बजट घोषणाओं की
काट और गरीबी से लड़ाई के औजार के एक रूप में भी पेश किया गया है.
2- किसानों के लिए अलग से बजट की
घोषणा. अनेक समस्याओं से ग्रस्त, आंदोलित
किसानों को कांग्रेस की तरफ झुकाने की कोशिश के लिए यह बड़ी घोषणा है. यह किसानों
को बजट और बहस के केंद्र में लाने का प्रयास है. इसके अलावा फसली ऋण अदा न कर पाना,
कांग्रेसी शासन आने पर दण्डनीय अपराध नहीं माना जाएगा, ऐसा वादा किया गया है.
3 - सत्ता में आने पर मार्च 2020 तक
22 लाख सरकारी रिक्त पदों पर भर्ती करने की घोषणा भारी बेरोजगारी से त्रस्त युवाओं
के लिए बहुत लुभावनी है. सरकारी नौकरियों का बड़ा आकर्षण है और मोदी सरकार नौकरियाँ
देने में फिसड्डी साबित हुई है.
4- ‘मनरेगा’ में 150 दिन काम काम की गारण्टी. यूपीए-एक शासन की यह बड़ी महत्वाकांक्षी
योजना थी जिसमें ग्रामीणों को अपने ही इलाके में 100 दिन काम की गारण्टी थी.
भ्रष्टाचार के बावजूद इस योजना ने ग्रामीणों को रोजगार दिलाया. यूपीए को 2009 का चुनाव जिताने में मनरेगा की
बड़ी भूमिका थी. मोदी सरकार ने भी इसे कुछ बदलावों के साथ जारी रखा था. घोषणापत्र
में काम की गारण्टी के दिनों में पचास फीसदी वृद्धि करके कांग्रेस ने अपनी इस
योजना पर स्वाभाविक ही भरोसा जताया है.
5- शिक्षा पर बजट का छह प्रतिशत खर्च
करने की घोषणा इस लिहाज से महत्त्वपूर्ण है कि अभी तक हमारी सरकारें सकल घरेलू
उत्पाद का तीन फीसदी से ज्यादा शिक्षा पर व्यय नहीं करतीं. अक्सर तो यह तीन फीसदी
से नीचे ही रह जाता है. शिक्षा क्षेत्र को निश्चय ही बड़े निवेश और सुधार की जरूरत
है.
6-नया बिजनेस शुरू करने के लिए तीन
साल तक किसी तरह की अनुमति नहीं लेनी होगी. यह घोषणा अपना नया काम शुरू करने
(स्टार्ट-अप्स) वाले उद्यमियों-युवाओं को आकर्षित करेगी.
7- महिलाओं को नौकरियों में 33
प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा राहुल पहले भी कर चुके हैं. घोषणा पत्र में इसके
अलावा संसद और विधान सभाओं में 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए सुरक्षित करने के
लिए कानून बनाने का वादा भी शामिल किया गया है. समान वेतन कानून लागू करने के अलावा
महिला सुरक्षा जैसे कई बिंदु और भी जोड़े गये हैं.
8- सभी नागरिकों के लिए गुणवत्तापरक
स्वास्थ्य योजना लागू करने का वादा शिक्षा पर किये गये वादे की तरह ही
महत्त्वपूर्ण इसलिए कहा जाना चाहिए कि स्वास्थ्य क्षेत्र भी हमारे यहांअत्यंत
उपेक्षित है.
कहना होगा कि ये हमारे समय के ज्वलंत
मुद्दे हैं जिन्हें कांग्रेस ने प्रमुखता से घोषणा पत्र में स्थान दिया है.
पाकिस्तान के जिस मुद्दे पर भाजपा ने
आसमान सिर पर उठा रखा है, उस पर
कांग्रेस का कहना है कि वह अंतराष्ट्रीय दवाब और कूटनीति से पाकिस्तान को अलग-थलग
करने की नीति पर ही चलेगी. भाजपा के दूसरे बड़े मुद्दे, राष्टीय
सुरक्षा पर घोषणापत्र बहुत मुखर नहीं है. कांग्रेस इस पिच पर ज्यादा खेलना भी नहीं
चाहेगी, जिस पर भाजपा बहुत आक्रामक है.
कश्मीर के मामले में घोषणा पत्र कहता
है कि सभी पक्षों से बिना शर्त बातचीत की जाएगी. वार्ता से ही समाधान निकलेगा.
तीन सदस्यीय वार्ताकार-समिति बनने की बात कही गयी है. अनुछेद 370 को
खत्म नहीं किया जा सकता.
कश्मीर और उत्तर-पूर्व के बारे में
जो नयी बात घोषणा पत्र कहता है वह यह कि सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून की समीक्षा
की जाएगी. कश्मीर और उत्तर पूर्व राज्यों के नागरिक लम्बे समय से सशत्र सेनाओं को
दिये गये असीमित शक्तियों को वापस लेने की मांग करते रहे हैं. यह वादा इन क्षेत्रों
की जनता की आहत भावनाओं के लिए मलहम का काम करेगा.
बावन मुद्दों वाले इस बड़े घोषणापत्र
को जारी करते हुए राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर बहस के लिए
ललकारा. कहा कि ‘चौकीदार भाग नहीं सकता’.
उन्होंने यह भी कहा कि मैं झूठ वादे नहीं करता. शायद इसी को ध्यान
में रखते हुए घोषणा पत्र को नाम दिया गया है- ‘हम निभाएंगे.’
सभी राजनैतिक दलों के घोषणापत्र
आदर्श बातें और लुभावने वादे करते हैं. कांग्रेस ने भी कई ऐसी बातें कही हैं जो
सत्ता में आने पर लागू करना उसके लिए बड़ी चुनौती होंगी. तो भी,
गरीब, किसान, बेरोजगार,
महिला, शिक्षा, स्वास्थ्य,
जैसे मुद्दों को प्रमुखता देकर कांग्रेस ने भाजपा के ‘पाकिस्तान और हिंदू-मुसलमान’ नैरेटिव को बदलने की
कोशिश की है. कितना बदल पाती है, यह देखना शेष है.
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