Friday, May 22, 2020

क्षुद्र राजनीति नहीं, सामूहिक मोर्चे की जरूरत है


हमारा देश सतत चुनावी मोड में रहता है, विशेष रूप से राजनैतिक दल. उनके लगभग सभी कदम वोट की राजनीति से प्रेरित होते हैं. आपदा काल में भी उनकी यह प्रवृत्ति नहीं जाती. भू-स्खलन, बाढ़, भू-कम्प जैसी आपदाओं के समय जब वे राहत सामग्री भेजते हैं तो उसमें पार्टी का झण्डा और नेता के फोटो लगाने का विशेष ध्यान रखते हैं. जान के लाले पड़े पीड़ितों को झण्डे और फोटो पर गौर करने की फुर्सत कहां, लेकिन पार्टियों के प्राण तो उसी में बसते हैं. अनेक बार ऐसी शिकायतें मिलती हैं कि राजनैतिक दलों की बांटी राहत सामग्री में कीड़े पड़े थे. झण्डा और फोटो दुरुस्त था, आफत की मारी जनता यह नहीं कह पाती. खैर.     
इस समय युद्ध-काल है. बल्कि,  उससे भी बड़ा संकट. यह वोट की राजनीति करने का समय कतई नहीं है. जैसे युद्ध के समय पूरा देश एक हो जाता है, वैसे ही इस समय सभी को इस महामारी के विरुद्ध एक साथ आ जाना चाहिए था. लेकिन देखिए तो, कामगारों को ढोने के लिए बसों के नाम पर कैसी क्षुद्र राजनीति हो रही है. ग्लानि नहीं होती? जैसे जनता मजदूरों की सेवा निस्स्वार्थ भाव से कर रही है, वैसे ही राजनैतिक दल नहीं कर सकते?
क्या यह समय यह गिनने और प्रचारित करने का है कि कामगारों को किस झण्डे वाले ने रोटी-पानी दिया, किसने उन्हें घर पहुंचाया? उधर राजनैतिक दांव-पेच हो रहे हैं, इधर कामगार 40 डिग्री तापमान में पैदल चले जा रहे हैं. इसलिए सभी को मिलकर उन्हें सकुशल घर पहुंचाने के अभियान में जुट जाना चाहिए. मुद्दा एक ही होना चाहिए कि मजदूरों को राहत मिले.
युद्ध-काल में सर्वदलीय समितियां बनाई जाती हैं. परस्पर विरोधी दल वोट की राजनीति भूलकर एक साथ काम करते हैं, एक स्वर में बोलते हैं और कोई श्रेय लूटने की कोशिश नहीं करता. सरकार स्वयं पहल करके विरोधी दलों को बुलाती है और विपक्ष बुलावे की प्रतीक्षा किए बगैर अपनी सेवाएं पेश करते हैं. सर्वोत्तम प्रतिभाओं, विशेषज्ञों की क्षमताओं का उपयोग किया जाता है, चाहे वे किसी भी दल या विचारधारा के हों. कोरोना से युद्ध लड़ते हुए हमें दो मास हो रहे हैं. क्या हमने ऐसा सहकार देखा?
कुछ दिन पहले ही खबर पढ़ी थी कि नीदरलैण्ड्स के प्रधानमंत्री ने कोरोना की आपदा से निपटने के लिए विरोधी दल के एक सांसद मार्टिन को स्वास्थ्य सेवाओं का मंत्री नियुक्त कर दिया. प्रधानमंत्री मर्क रट्टे ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन में मार्टिन के सुदीर्घ अनुभव को देखते हुए उन्हें इस समय यह उत्तरदायित्व दिया जा रहा है. नीदरलैण्ड्स कोरोना की आफत कुछ अधिक ही झेल रहा था.
यह देश और मानवजाति के हित में स्वस्थ्य राजनीति और आदर्श नेतृत्व का एक श्रेष्ठ उदाहरण है. देश में जो भी श्रेष्ठ प्रतिभाएं हैं, उन्हें इस संकट काल में मोर्चे पर लगाया जाना चाहिए, वह सरकार के विचारों से सहमत हो या असहमत. वोटों की राजनीति बाद में कर ली जाएगी. उसके लिए बहुत समय मिलेगा. अभी यह देखने का समय नहीं है कि कौन समर्थक है और कौन विरोधी.
पहले से चल रही आर्थिक मंदी और ऊपर से कोरोना की बंदी ने देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत कठिन चुनौती खड़ी की है. क्या देश के समस्त आर्थिक विद्वानों, अनुभवी नेताओं को, वे चाहे पक्ष में हों या विपक्ष में, मिलकर सर्वाधिक उपयुक्त रास्ता नहीं तय करना चाहिए? क्या सरकार को ऐसी पहल नहीं करनी चाहिए? इस विपदा से निपटने में सामूहिक तौर पर सर्वोत्तम कौशल लगाया जाना चाहिए. इससे यह युद्ध बेहतर जीता जा सकेगा. 
(सिटी तमाशा, नभाटा, 23 मई, 2020)    
        

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