Friday, September 03, 2021

बेरोजगारी, ठगी और काबिलियत के सवाल

ठगी के किस्से पढ़ते-पढ़ते मैं ठगों के प्रति प्रशंसा-भाव से भरता जा रहा हूं। इसीलिए पिछले एक साल में यह दूसरी बार है कि ठगों और ठगे जाने वालों के बारे में लिख रहा हूं। समाचार-पत्रों के अपराध पृष्ठ पर प्रतिदिन ठगी की कई खबरें प्रकाशित रहती हैं। उन्हें पूरा पढ़ना मेरी आदत में शामिल हो गया है। अक्सर मेरे मुंह से ठगों की प्रशंसा निकलती है। जो ठगे जाते हैं, असावधान बुजुर्ग, महिलाओं और भोले-भाले ग्रामीणों को छोड़कर, उनके प्रति मुझे कोई सहानुभूति नहीं होती। जिस आसानी से पढ़े-लिखे, समझदार और उच्च पदस्थ लोग ठग लिए जाते हैं, लगता है वे ठगे जाने के लिए ही समझदारबने हैं।

ठगों में राजनेता और उनके छुटभैये भी शामिल हैं। उनकी भी तारीफ कम नहीं बनती लेकिन यहां मैं उनके बारे में नहीं लिखने जा रहा। उनकी करनी जनता भोग ही रही है। इस बार मुझे प्रभावित किया है उस ठग ने जिसने एक डॉक्टर और उसके पिता दोनों को यह झांसा देने में सफलता पाई कि वह डॉक्टर को एक नामी निजी अस्पताल में नौकरी दिला देगा। इसके लिए उसने पहले कुछ रुपए वसूले। बाकी इण्टरव्यू के बाद देना होगा, यह बताया। फिर ठग उस्ताद ने इण्टरव्यू भी करा दिया और बाकी रकम वसूल कर ली। डॉक्टर बेटे और पिता को उसके बाद ही पता चला कि वे ठग लिए गए हैं।

वैसे, डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस तथा आईपीएस अफसर भी ठगे जाते हैं। बैंक खाते सबंधी विवरणों पर बहुत से लोग झांसे में आकर ओटीपी बता देते हैं। लेकिन एक नामी अस्पताल में नौकरी दिलाने के नाम पर डॉक्टर को ठगे जाने के इस किस्से ने मुझे सचमुच बहुत प्रभावित किया। पहले मुझे इस खबर पर बहुत आश्चर्य होता था कि मेडिकल कॉलेजों में बीस-बीस साल से ऐसे होनहार मेडिकल छात्र पढ़ रहे हैं जो डॉक्टरी की परीक्षा पास ही नहीं कर पा रहे। अब कुछ-कुछ समझ में आने लगा है कि इसमें आश्चर्य जैसी कोई बात नहीं होनी चाहिए। इसके और भी कई आयाम हैं, जिस पर फिर कभी।

मैं समझता हूं कि नामी एवं प्रतिष्ठित अस्पतालों (प्रतिष्ठा का कोई सम्बंध बेहतर चिकित्सा-व्यवस्था से हो ही, यह आवश्यक नहीं) में डॉक्टरों की भर्ती की एक निश्चित प्रक्रिया होती होगी। उसके लिए आवेदन, स्क्रीनिंग, इंटरव्यू, आदि की प्रक्रिया होगी। इसमें न्यूनतम पारदर्शिता भी बरती जाती होगी। अब अगर कोई ठग किसी डॉक्टर साहेब को इस सब से निकालकर सीधे वहां नौकरी दिला देने के लिए भरोसे में ले ले तो उसकी प्रतिभा का कायल तो होना ही पड़ेगा। पता नहीं उसने स्वयं मेडिकल या सिविल सेवा परीक्षा क्यों नहीं दी होगी!

यह बेरोजगारी की इंतिहा ही है कि हमारे इस ठग जैसे प्रतिभाशाली लोग अच्छी नौकरी नहीं पा सके। हो सकता है उसे नौकरी मिली हो किंतु उसमें वह रोमांच और नित नई सनसनी न रही हो जो डॉक्टर या बड़े-बड़े अफसरों को ठगने में मिलती है। राजनीति अगर नेता-पुत्रों के लिए आरक्षित नहीं होती तो ऐसे ठग किसी भी राजनैतिक दल में काफी ऊपर पहुंचते। वहां आम व्यक्ति के लिए सम्भावनाएं अत्यंत कम हैं, बावजूद भाजपा के इस दावे के कि वहां सामान्य कार्यकर्ता भी शीर्ष तक पहुंच सकता है।

हमारे देश में डॉक्टरों की काफी कमी है और बहुत सारे पद खाली हैं। उसके बावजूद यह किस्सा हुआ तो कई सवाल भी उठाते हैं। ऐसे डॉक्टरों और उन्हें तैयार करने वाले मेडिकल कॉलेजों की काबिलियत से लेकर नामी अस्पतालों की साख पर सवालिया निशान तो हैं ही, डॉक्टर जैसे ज़िम्मेदार पदों पर भर्तियों में रिश्वत, जोड़-जुगाड़ और दलाली पर भरोसा करने की सच्चाई भी उजागर होती है। बेरोजगारी हर क्षेत्र में है लेकिन योग्यता की कमी भी अपने देश में एक बड़ा संकट है।

(सिटी तमाशा, नभाटा, 04 सितम्बर, 2021)    

 

      

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