Monday, February 26, 2024

कार्बन डाइऑक्साइड को पकड़कर समुद्र में दफनाएंगे!

हमारी धरती और वायुमंडल का तापमान लगातार बढ़ रहा है जो बड़ी चिंता का विषय है। दुनिया भर में इस 'क्लाइमेट चेंज' यानी मौसम परिवर्तन को रोकने के लिए उपाय किए जा रहे हैं। हर साल इस बारे में विश्व नेताओं के सम्मेलन होते हैं और सभी देश एक दूसरे से कहते हैं कि अपने यहां कार्बन उत्सर्जन कम करिए। वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का जमा होते जाना ही इस मौसम परिवर्तन या तापमान बढ़ने के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार है। जितनी भी औद्योगिक गतिविधियां हैं, कल-कारखाने आदि, उन सभी से कार्बन उत्सर्जन होता है। लेकिन 'आधुनिक विकास' के लिए औद्योगिक गतिविधियां आवश्यक मानी गई हैं। इसलिए चाह कर भी कार्बन उत्सर्जन कम नहीं हो पा रहा। कोयले, आदि का वैकल्पिक ईंधन इतना नहीं हो पाया है कि उसका इस्तेमान बंद किया जा सके। बल्कि, कोयले का उपयोग कम करना भी मुश्किल हो रहा है। हर साल करीब डेढ़ डिग्री से अधिक तापमान बढ़ रहा है। 

यूरोप के सबसे धनी मुल्क जर्मनी ने तापमान कम करने के लिए नए उपायों पर विचार करना शुरू कर दिया है। वह इस योजना पर काम कर रहा है कि वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को 'पकड़' कर उसे समुद्र की सतह के नीचे 'कैद' कर दिया जाए। कार्बन डाइऑक्साइड कम होगी तो तापमान नहीं बढेगा। जर्मनी के उप-राष्ट्रपति (वाइस-चांसलर) हबेक का मानना है कि औद्योगिक कार्बन उत्सर्जन को बहुत कम करना हो नहीं पाया है और अब समय नहीं बचा है कि इसके उपायों पर विचार करते रहा जाए। दुनिया इतनी गर्म हो चुकी है कि अब और तापमान वृद्धि की अनुमति नहीं दी जा सकती। सन 2000 में हम कह सकते थे कि चलो, कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए कुछ समय और प्रतीक्षा कर लेते हैं। अब और इंतज़ार नहीं किया जा सकता।

इसलिए जर्मनी गम्भीरता से विचार कर रहा है कि कार्बन डाइऑक्साइड को एकत्र करके उसे अपने क्षेत्र के समुद्र के नीचे जमा करते रहा जाए। इसे जमीन के नीचे दफनाने के अलग खतरे हैं, इसलिए इसकी अनुमति सम्भव नहीं लगती। समुद्री जीवों के संरक्षण वाले समुद्री क्षेत्रों को छोड़ दिया जाएगा। अपने बाकी समुद्री इलाके में पानी के नीचे कार्बन डाइऑक्साइड का भंडारण किया जाएगा। इस योजना के विरोधी भी हैं। उनका कहना है कि इस योजना की सफलता संदिग्ध है। इसकी बजाय ऊर्जा के वैकल्पिक उपायों को बढ़ाया जाना चाहिए, जैसे कि सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा, जिनसे कार्बन उत्सर्जन नहीं होता। वैसे, जर्मनी उन मुल्कों में है जो वैकल्पिक ईंधन पर जोर-शोर से काम करते आए हैं। 

विरोध करने वालों में ग्रीन पार्टी मुख्य है। उसका कहना है कि यह योजना उन उद्योगों को बचाने और बढ़ाने के लिए है जो खूब कार्बन उत्सर्जन के दोषी हैं जबकि वे वैकल्पिक ईंधन का उपयोग बढ़ाने की स्थिति में हैं। हबेक स्वयं पर्यावरणवादी ग्रीन पार्टी के सदस्य हैं। वे कहते हैं कि कार्बन डाइऑक्साइड को समुद्र के नीचे जमा करने की योजना पर सन 2000 से विचार किया जा रहा है। उस समय इसका विरोध अधिक हुआ था लेकिन अब नई टेक्नॉलॉजी का विकास होने से यह उपाय अधिक सुरक्षित  हो गया है। शोध परियोजनाओं और अन्य कुछ स्थानों पर इसका प्रयोग भी हो रहा है। जर्मनी के पड़ोसी मुल्क डेनमार्क ने पिछले वर्ष एक महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम शुरू कर दिया है जिसका उद्देश्य कार्बनडाइऑक्साइड को समुद्र के नीचे जमा करना है।

जर्मनी के एक ऊर्जा विशेषज्ञ कार्स्टन स्मिठ कहते हैं कि समुद्र के नीचे कार्बन डाइऑक्साइड जमा करके हम भावी पीढ़ियों के लिए और भी बड़ा खतरा छोड़ जाएंगे। आखिर वे इस कार्बनडाइऑक्साइड भंडार से कैसे निपटेंगे? 

- न जो, 27 फरवरी, 2024 (ग्राफ  इण्टरनेट से)


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