Wednesday, February 05, 2020

नफरत की खाद से चुनावी फसल उगाने का खतरनाक खेल


समाज चिंताजनक रूप से दो फाड़ हो गया है. राजनैतिक दलों ने, विशेष रूप से भाजपा और संघ परिवार ने देश को सीधे-सीदे हिंदू और मुसलमान में बांट दिया है. बांट ही नहीं दिया, रिश्तों में नफरत घोल दी है.
दिल्ली विधान सभा के लिए चुनाव हो रहे हैं. चुनाव जीतने के लिए नफरत की राजनीति खुलकर की जा रही है. शाहीनबाग का डेढ़ महीने पुराना विरोध-प्रदर्शन राजनैतिक और लोकतांत्रिक है. उसे घृणा फैलाने का माध्यम बना दिया गया है.

शाहीनबाग का मतलब सीएए के विरोध की बजाय सीधे-सीधे मुसलमान, पाकिस्तान और आतंकवाद बना दिया गया है. उसका समर्थन करने का अर्थ पाकिस्तान-समर्थक, राष्ट्र-विरोधी और अर्बन नक्सल होना बताया जा रहा है.

राजनैतिक विरोध को नफरत में बदले जाने का ही नतीजा है कि चंद बौखलाए लोग पिस्तौल-कट्टे लेकर कभी शाहीनबाग में प्रदर्शनकारियों के बीच घुसते हैं, कभी जामिया में गोली चलाते हैं. अब तक चार वारदात हो चुकी हैं. ताज़ा मामला लखनऊ का है, जहां घण्टाघर पर प्रदर्शन कर रही महिलाओं को जान से मारने की धमकी दी गई है. अब शाहीनबाग के एक हमलावर को आपसे जोड़कर चुनावी बदला चुकाने की कोशिश हो रही है.

दिल्ली में चुनाव हो रहे हैं और हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि शाहीनबाग तिरंगे और संविधान की आड़ लेकर देश को तोड़ने का प्रयोग है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी दिल्ली में प्रचार करने जाते हैं और शाहीनबाग के पास सभा करके पाकिस्तान-पाकिस्तान की रट लगाते हैं. वे चेतावनी भी दे देते हैं कि बोली से नहीं मानेंगे तो गोली से मानेंगे.’

चंद रोज पहले केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर चुनाव सभा के मंच से नारे लगवाते हैं- देश के गद्दारों को....सभा में कुछ लोग उनका नारा पूरा करते हैं- गोली मारो सालों को.एक नहीं, कई बार वे नारा लगवाते हैं.
घृणा से भरा एक युवक गोली मारने निकल पड़ता है. पुलिस की गिरफ्त में भी वह चीखता रहता है –इस देश में सिर्फ हिंदुओं की चलेगी. उसके चहेरे पर नफरत पढ़ी जा सकती है जो पहले नहीं थी. यह नफरत उसमें और उस जैसे दूसरे आम लोगों में कौन भर रहा है?

भाजपा ने दिल्ली का चुनाव जीतने के लिए शाहीनबाग को हिंदू-ध्रुवीकरण का जरिया बना लिया है. शाहीनबाग में उसे अपने चुनाव जीतने का जिस कारण अवसर दीख रहा है वह नई पैदा की गई नफरत ही है. शाहीनबाग को वह मुसलमानों, उनका समर्थन करने वाले दलों और अर्बन नक्सलियोंकी देश विरोधी साजिश बता रही है. उन्हें पाकिस्तानी और देश विरोधी बताया जा रहा है. खुद प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और योगी जैसे मुख्यमंत्री इसमें शामिल हैं.

नफरत फैलाने का दुस्साहस और तरीका देखिए. भाजपा के सांसद प्रवेश शर्मा दिल्ली में ललकारते हैं- वहां (शाहीनबाग में) लाखों लोग एकत्र हैं. दिल्ली के लोगों को सोचना होगा और फैसला लेना होगा... ये लोग आपके घरों में घुसेंगे और आपकी बहन-बेटियों से बलात्कार करेंगे, उन्हें मार डालेंगे.

भाजपा के वाचाल प्रवक्ता सम्बित पात्रा ट्वीट करते हैं- दिल्ली तू जाग रे... कहीं फिर देर न हो जाए. ये फिरंग और मुगलिए फिर से देश न तोड़ जाए.

यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि पात्रा किसे मुगलिएऔर फिरंगकह रहे हैं. वे किसको जगारहे हैं और क्या करने के लिए? चुनाव जीतने के लिए कितनी नफरत घोली जाएगी?

नफरत से भरकर कट्टा-पिस्तौल निकाल लेने के अभी चार-पांच ही मामले हुए हैं लेकिन आप सड़क के नुक्कड़, चाय के ढाबों, दफ्तरों, घरों और बाजारों में घुल रही नफरत देख सकते हैं. वह सोशल मीडिया में उगली जा रही है. वह आपसी बातचीत में निकल रही है. वह दोस्तियां तोड़ रही है. वह घरों में झगड़े करा रही है. चारों तरफ हिंदू-मुसलमान हो रहा है.

सीएए और  एनआरसी राजनैतिक मुद्दे हैं. देश की बड़ी आबादी को लगता है कि यह संविधान विरोधी है और धर्म के आधार पर नागरिकों में भेदभाव करने वाला है, उन्हें इसके विरोध का लोकतांत्रिक अधिकार संविधान देता है. इसलिए जो लोग शाहीनबाग और देश भर में सैकड़ों जगह विरोध कर रहे हैं, वे न सिर्फ मुसलमान हैं, न देश-विरोधी और न ही पाकिस्तानी.

यह नफरत देश को कहां ले जाएगी?

भाजपा दिल्ली में केजरीवाल से हारने के डर से त्रस्त है. इसलिए ज़्यादा ही बेचैन और हताश है. इस भाजपा के नेता-मंत्री हताशा में कैसे-कैसे बयान दे रहे हैं और उसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, इसकी चिंता किसी को नहीं है.

यूपी के मुख्यमंत्री योगी दिल्ली जाकर कहते हैं- पाकिस्तान का एक मंत्री केजरीवाल के समर्थन में बयान क्यों देता है? क्योंकि केजरीवाल शाहीनबाग वालों को बिरयानी खिलाता है.केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर केजरीवाल को आतंकवादी बता देते हैं. केजरीवाल में सौ खामियां होंगी, उनके शासन में गड़बड़ियां हुई होंगी, उनके खिलाफ बहुत सारे मुद्दे हो सकते हैं लेकिन केजरीवाल को कौन आतंकवादी मानेगा?  भाजपा क्या साबित करना चाहती है?   

चुनावों में सभी राजनैतिक दलों के नेता मर्यादा तोड़ते हैं. व्यक्तिगत आरोप लगाते हैं. झूठे दावे करते हैं. मतदाताओं की भावनाओं को भड़काने के लिए ऊल-जलूल बयान देते है. मगर अब सारी सीमाएं तोड़ दी गई हैं.
चुनाव आयोग ने भी जैसे आंख-कान बंद कर लिए हैं. हाल के वर्षों में इतना लाचार उसे नहीं देखा.

भाजपा नेताओं की अनर्गल वाणी और नफरती प्रचार देखते हुए सोमवार, 03 फरकरी को देश के नारीवादियों, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और कई स्वयंसेवी संगठनों (एनजीओ) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर मांग की है कि वे अपने नेताओं के ऐसे बयानों  की निंदा करें और उनसे बाज आने को कहें.

तीखी शब्दावली में यह चिट्ठी पूछती है कि “मोदी जी क्या आपकी पार्टी दिल्ली की महिलाओं को यह संदेश देना चाहती है कि भाजपा को जिताओ वर्ना आपके साथ बलात्कार हो जाएगा?” चिट्ठी आगे पूछती है कि क्यों यह साम्प्रदायिक घृणा और डर फैलाए जा रहे हैं, जिससे सभी समुदायों की महिलाएं असुरक्षित और भयग्रस्त हो रही हैं, और आप सरकार के मुखिया होकर उसे प्रोत्साहित कर रहे हैं? हमने अपने शरीर पर पहले ही बहुत हिंसा झेली है और न्याय से भी वंचित ही रही हैं. हमारे दर्द और भय के लम्बे दौर की अनदेखी करके उसे सस्ती और विभाजनकारी चुनावी राजनीति के लिए इस्तेमाल करने की हम कड़ी निदा करते हैं.

प्रधानमंत्री को लिखी इस चिट्ठी पर 175 नामी गिरामी महिलाओं के हस्ताक्षर हैं. ऐसी चिट्ठियों को कोई उत्तर नहीं आता. चिट्ठी के जवाब में समर्थकों से एक और बड़ी चिट्ठी लिखवा दी जाती है. बस!  


 

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