Friday, August 02, 2019

पूछो बिटिया, बिना डरे सवाल पूछो!


यह कितना भयावह समय है और सीधे-सरल लोग कितना डरे हुए हैं, इसकी बानगी है यह. तीन-चार दिन हुए पुलिस का एण्टी-रोमियो दल बाराबंकी के एक कॉलेज में बालिका सुरक्षा जागरूकता अभियान चला रहा था. एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लड़कियों को आश्वस्त कर रहे थे कि कोई दुर्व्यवहार या छेड़छाड़ करे तो विरोध कीजिए और पुलिस के टॉल-फ्री नम्बर पर शिकायत कीजिए. पुलिस आपकी पूरी मदद करेगी.

एक लड़की खड़ी हुई. उसने पूछा- सर, अगर आम इनसान है तो उसके खिलाफ शिकायत कर सकते हैं. लेकिन अगर कोई नेता है, बड़ा इनसान है तो उसके खिलाफ हम कैसे प्रोटेस्ट करेंगे जबकि हम जानते हैं कि उसपे कोई एक्शन नहीं लिया जाएगा? हमने देखा कि उन्नाव की वह लड़की हॉस्पीटल में है... अगर प्रोटेस्ट करते हैं तो क्या गारण्टी है कि हमें इंसाफ मिलेगा? क्या गारण्टी है कि मैं सेफ रहूंगी?’ पुलिस अधिकारी से जवाब देते नहीं बना.

स्वाभाविक ही, उस लड़की के दिमाग में उन्नाव की घटना से खलबली मची हुई होगी. वह दुखी और उत्तेजित होगी. वहाँ उपस्थित बाकी लड़कियाँ के मन में भी यही सब चल रहा होगा. बड़े अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई होगी, इसका उन्हें भरोसा नहीं है, इसलिए उस लड़की ने यह अत्यंत प्रासंगिक सवाल पूछ लिया.

सवाल पूछने के लिए उस लड़की की कॉलेज में बड़ी प्रसंशा हुई. किसी ने उसका वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दिया. वह वायरल हुआ तो सब तरफ से उसकी तारीफ होने लगी. हो सकता है कि उसके मां-बाप को भी बेटी की साफगोई और हिम्मत पर गर्व हुआ हो लेकिन वे बहुत डर गए. उन्होंने तबसे उसे स्कूल नहीं भेजा है. वे स्कूल वालों से सवाल कर रहे हैं कि उसका वीडियो क्यों वायरल किया गया? सबसे ज़्यादा उसके पिता चिंतित हैं और सफाई देते घूम रहे हैं कि बच्ची नासमझ है, जो टीवी में देखती-सुनती है, वह बोल दिया होगा. बोलने में अच्छी है.

यह डर बता रहा है कि आम अभिभावकों के मन में अपने बच्चों, विशेष रूप से बालिकाओं के प्रति कितना चिंता है. वे चाहते हैं कि बच्चियां चुपचाप स्कूल जाएं, पढें और सिर झुकाए घर लौट आएं. वे चिन्तित हैं कि बच्ची अपनी टीका-टिप्पणी के कारण किसी की नज़रों में न आ जाए. पता नहीं उसके साथ क्या हो जाए. बिटिया की तारीफ उन्हें बहुत डरा रही है.

घर वालों का डर देखकर अब वह लड़की शायद ऐसे सवाल कभी नहीं करे. उसके मन में सवाल उठेंगे लेकिन वह चुप रह जाएगी. यह चुप्पी ही दबंगों, गुण्डों, आपराधिक नेताओं का मन बढ़ा रही है. कुलदीप सेंगर जैसे विधायकों को पता था कि लड़की और उसके घर वाले मुंह नहीं खोलेंगे. वे जब चाहे जिस लड़की पर हाथ डाल सकते हैं.

उन्नाव की लड़की चुप नहीं रही. उसके माता-पिता-चाचा, सब बोल उठे. विधायक ने उन्हें चुप कराने की साजिशें कीं. पिता जेल में मारे गए. चाची, मौसी दुर्घटना में मारी गईं. वह स्वयं और उसके वकील अस्पताल में गम्भीर हालत में है.     

वे चुप नहीं रहे इसीलिए आज उनकी तरफ से सारा देश बोल रहा है, अनेक लड़कियाँ बोल रही हैं, अभिभावक बोल रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट बोल रहा है. उन्नाव की लड़की चुप रह जाती तो सेंगर जेल में नहीं होता. इसलिए बाराबंकी की लड़की के माता-पिता को डरने की आवश्यकता नहीं है. पूरे समाज को जोर-जोर से बोलने की ज़रूरत है.

जिस-जिस स्कूल-कॉलेज में बालिका सुरक्षा जागरूकता अभियान चले, वहाँ की सभी लड़कियों को हिम्मत के साथ सवाल पूछना चाहिए. घर वालों को अपनी बच्चियों की पीठ ठोकनी चाहिए कि सवाल पूछा. तभी वे डरेंगे जिन्हें डरना चाहिए.  

(सिटी तमाशा, नभाटा, 3 अगस्त,2019) , 

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